वीरों की भूमि है उत्तराखंड, हर घर में जन्म लेता है एक सैनिक




नवीन चौहान
देवभूमि उत्तराखंड वीरों की भूमि है। इस भूमि के हर एक घर में एक सैनिक जन्म लेता है। वो सैनिक भारत मां की रक्षा करने का संकल्प लेता है। देश की रक्षा में अपने जान न्यौछावर कर देता है। इसके बावजूद उत्तराखंडवासियों का जोश ठंडा नहीं होता। वीरों की इस माटी का लाल मोहन लाल अकेला नहीं है, जिसने शहादत दी हो। भारत का इतिहास रहा है जब भी देश की रक्षा में प्राण गंवाने वालों के नाम सामने आए है। उसमें उत्तराखंड के वीर सबसे आगे रहे है। इसीलिए उत्तराखंड को वीरों की भूमि कहा जाता रहा हैं।
पहाड़ों की शांत वादियों में बसे उत्तराखंड प्रदेश का गौरवशाली इतिहास है। उत्तराखंड में प्रत्येक घर से एक बच्चा सेना में भर्ती होकर देश सेवा करता है। किसी परिवार की तो कई-कई पीडि़यां सेना में भर्ती होकर भारत मां की रक्षा करती रही है। बदलते वक्त के साथ इस परिपाटी में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सेना में भर्ती होने का जज्बा आज भी बरकरार है। यही कारण है कि आज भी उत्तराखंड की नौजवान पीढ़ी सेना में भर्ती होने के लिए लालायित रहते है। देश की सेवा करने की उनकी चाहत कम होने वजाय बढ़ती जा रही है। सेना में जाने की चाहत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की बेटी ने भी सेना की वर्दी पहनी। ये एकलौती बेटी नही है जो देश सेवा में जुटी हो। ऐसे तमाम परिवार है जिनके घरों ने देश की रक्षा करने में अपनी शहादत दी हो। वर्तमान हालात में लगातार देश में आतंकी हमले हो रहे है। ऐसे में जिन घरों के बच्चे सेना में भर्ती है उनकी मनोदशा को समझने की जरूरत है। सैनिकों के परिवार अपने बच्चों की शहादत का बदला चाहते है। आतंक को पालने वाले देश पाकिस्तान का खात्मा करने की मांग कर रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री हरिद्वार सासंद रमेश पोखरियाल निशंक जिनकी बेटी सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रही है। उन्होंने भी आतंकी देश पाकिस्तान को खत्म करने की मांग की है। रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि लोगों के बेटे सेना में है। लेकिन मेरी बेटी सेना में भर्ती होकर भारत मां की सेवा कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे गढ़वाल का चप्पा-चप्पा देशभक्ति से ओतप्रोत है। अगर थल सेनाध्यक्ष आदेश करेंगे तो अकेले गढ़वाल रायफल्स की एक ही यूनिट पाकिस्तान को मटियामेट कर देंगी।



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