योगेश शर्मा
हरिद्वार जिला प्रशासन और पुलिस के रिलेक्स मोड में काम करने के दिन अब बहुत दूर है। कांवड़ मेला सिर पर आ चुका हैं। इसी के बीच में पंचायत चुनाव की तैयारियों को पूर्ण करना है। सांप्रदायिक तनाव को रोकने की चुनौती बरकरार है। तो किसी भी अनहोनी घटनाओं पर प्रशासन और पुलिस को अलर्ट रहना है। कुल मिलाकर कहा जाए तो आने वाले कुछ महीने प्रशासन और पुलिस की अग्निपरीक्षा के होंगे।
श्रावण मास का कांवड़ मेला नजदीक है। हरिद्वार में कांवड़ियों के आने का सिलसिला शुरू भी हो चुका है। दूर दराज के कांवड़िये हरिद्वार पहुंच रहे है। जबकि 14 जुलाई से मेला विधिवत शुरू हो जायेगा। इस कांवड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था की तमाम जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस के कंधों पर है। कांवड़ मेले की बात करें तो इस पर्व को सकुशल संपन्न कराने में पुलिस का अहम रोल है। हालांकि जिला प्रशासन की टीम पुलिस के साथ कदमताल करती है। कांवड़ियों की व्यवस्थाओं का जायजा लेती है। तनाव होने की स्थिति में विवेकपूर्ण निर्णय लेती है। इसीलिए प्रत्येक संवेदनशील स्थान पर अस्थायी सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाती है। पुलिस की बात करें तो कांवड़ियों की सुरक्षा को बनाए रखना और विवाद को टालने में पुलिस की अहम भूमिका है। कांवड़ियों के वाहनों को निर्धारित पार्किंग स्थल तक भेजना ही पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती बनती है। भगवान भोले शंकर की कृपा प्रशासन और पुलिस को मिलती रही है। जिसके चलते कांवड़ मेला सकुशल संपन्न होता रहा है। वही दूसरी और शिवभक्तों को भी भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। अब बात करते है पंचायत चुनाव की तो उसकी जिला प्रशासन इस कार्य को पूर्ण कराने में जुटा है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पूर्ण की सभी तैयारियों को करने में जिला प्रशासन लगा हुआ है। मतदानकर्मियों की संख्या व उनके लिए वाहनों की व्यवस्था के लिए जिलाधिकारी की समीक्षा बैइकों का दौर जारी है। शासन की ओर से अधिसूचना जारी होते ही पंचायत चुनाव का कार्य भी पूर्ण होगा। लेकिन चुनाव और कांवड़ से पूर्व की चुनौतियों ने जिला प्रशासन और पुलिस को अलर्ट मोड में डाल दिया है।