डीएम सी रविशंकर का पल-पल हरिद्वार की जनता की सेवा में समर्पित




नवीन चौहान
जिलाधिकारी सी रविशंकर का एक-एक मिनट हरिद्वार की जनता की सेवा में समर्पित है। वह वक्त का पूरा सदुप्रयोग करते है। सरकारी वाहन का उपयोग भी बेहद की किफायत से करते है। कर्तव्यनिष्ठा और पारदर्शिता से काम करने की उनकी शैली लाजबाब है। जनता तक कोई भी जानकारी देने के लिए जब मीडिया को संबोधित करते है तो ठीक प्रेस वार्ता से पहले या बाद में सरकारी मीटिंग आयोजित करके अपना और संबंधित विभाग के अधिकारियों का वक्त बचाते है। डीएम सी रविशंकर का यह गुण बेहद ही प्रभावशाली है। किसी भी इंसान की कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा गुण टाइम मैनेजमेंट ही होता है। जिस इंसान ने वक्त की कीमत को समझा वह अपने लक्ष्य को जरूर हासिल करता है। लेकिन जिलाधिकारी के पद के मुकाम पर पहुंचे चुके आईएएस सी रविशंकर का वक्त तो हरिद्वार की जनता की सेवा के लिए है।
आईएएस सी रविशंकर किसी परिचय के मोहताज नही है। जी हां हम बात कर रहे है कि हरिद्वार की जनता की सेवा कर रहे सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी जिलाधिकारी सी रविशंकर की।

मृदुभाषी और व्यवहारकुशल जिलाधिकारी सी रविशंकर के काम करने का तरीका बेहद ही अनूठा है। वह प्रशासनिक अफसर के तौर से ज्यादा जिले के सबसे बड़े अधिकारी होने की जिम्मेदारी को बखूवी समझते है। पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपने फर्ज को अंजाम देते है। दिन रात क्षेत्र के विकास कार्यो का खाका मस्तिष्क में रखते है। सरकारी योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास करते है। लेकिन उनकी सबसे बडी खूबी यह है कि वह जनता की सेवा में पारदर्शिता और मित्तव्यता पर पूरा फोकस रखते है। जनता के धन की बर्बादी को रोकने में उनका सबसे अधिक ध्यान रहता है। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कोरोना संक्रमण काल में अपनी प्रशासनिक क्षमता का एहसास कराया। हरिद्वार की जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने में उन्होंने दूरदर्शिता का परिचय दिया। सुनियोजित तरीक से कार्यो का निर्धारण किया और प्रशासनिक मशीनरी का उपयोग किया। जिलाधिकारी को कुंभ पर्व की चुनौती मिली तो इस कार्य को भी पूरी ईमानदारी से निर्वहन कर रहे है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टालरेंस की मुहिम का सख्ती से अनुपालन करा रहे है। यही कारण है कि विगत कुछ महीनों के भीतर ही तमाम प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके कार्य में लापरवाही करने पर जिलाधिकारी के नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। जबकि कई भ्रष्ट अधिकारी उनके रडार पर है। जिलाधिकारी की ईमानदारी से कार्य करने की शैली कलेक्टेªट में चर्चा का विषय बन चुकी है। सरकारी अधिकारियों ने अपने कार्य करने का तरीका बदल दिया है। डीएम के खौफ से ही सही फिलहाल तो कलेक्टेट प्रांगण में अधिकारियों कर्मचारियों के सुर ढीले पड़ गए है।



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