चुनाव और रैलियां हो सकती हैं, लेकिन धार्मिक कुंभ नहीं, अब करेंगे धरना प्रदर्शन




जोगेंद्र मावी
देश में चुनाव हो सकता हैं, रैलियां हो सकती हैं। सत्ताधारी पार्टी के अनेकों कार्यक्रम हो सकते हैं, लेकिन धार्मिक आयोजन कुंभ—2021 में कोरोना अड़ंगा लगा देता हैं, इसकी पोल खोल अभियान कांग्रेस नेता चलाएंगे।
पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने कहा कि कुंभ के आयोजन और कार्यकाल को लेकर निरंतर विवाद हो रहे हैं। कुंभ का आयोजन धार्मिक महत्व का है परंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे प्रशासनिक मेला है। अव्यवस्थित अनियोजित कुंभ धार्मिकता का ह्रास और प्रशासनिक दूर दृष्टि के अभाव का एक उदाहरण है। कोरोना काल में बिहार के चुनाव हो सकते हैं। हैदराबाद के चुनाव हो सकते हैं, बंगाल में रैलियां हो सकती है, परंतु कोरोना के नाम पर कुंभ का सीमित किया जाना प्रशासनिक अक्षमता और गिरते हुए धार्मिक स्तर का निकर्षित्म उदाहरण है। राजनैतिक के स्तर हो या केंद्र से लेकर प्रदेश तक सर्वस्त्रा अनिश्चय और अनिर्णय का साम्राज्य है। जब हरिद्वार के धार्मिक महत्व को गिरता देख कर भी धार्मिक संप्रदाय खामोश है यह दुखद स्थिति है। कांग्रेस 31 दिसंबर—2020 के बाद इन सब मुद्दों पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से इन सब तथ्यों को जनता के सामने रखकर जनजागृति का काम करेगी।

पूर्व विधायक अंबरीष कुमार

कांग्रेस ने हरित क्रांति से दिया था खेती को बढ़ावा: अंबरीष कुमार
पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य नेता पिछले कांग्रेस शासन की उपलब्धियों को राजनीतिक स्वार्थ के चलते नकार रहे हैं। श्री नड्डा ने तो यहां तक कहा कि पिछले 70 वर्ष में कृषि क्षेत्र में कुछ भी नहीं हुआ श्री नड्डा या तो इतिहास को नहीं जानते या जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में बिहार में और सरदार पटेल के नेतृत्व में गुजरात में किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन हुए आजादी के बाद जमीदारी उन्मूलन और भूमि सुधारो के द्वारा किसानों को उनका अधिकार मिला। सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाकर किसान की तरक्की का रास्ता बनाया हरित क्रांति के जरिए वैज्ञानिक खोज की किसानों तक पहुंच कर कृषि उत्पादनो में अभूतपूर्व वृद्धि की है। ऊसर सुधार के जरिए भूमि को कृषि योग्य बनाने का काम हुआ भूमि सीमा लागू कर दलितों को कृषि भूमि का आवंटन की गई। कृषि से संबंधित डेरी उद्योग पशुपालन के जरिए अच्छी नस्ल के पशुओं की उपलब्धता बढ़ाई गई सैकड़ों शुगर मिल लगे भारतीय खाद्य निगम द्वारा अन की खरीद कर किसानों को उचित मूल्य देने का प्रावधान हुआ मंडी समितियों के जरिए कृषि उत्पाद के व्यापार को बढ़ाया गया। कांग्रेस ने दलितों को जमीन दी यह पूंजीपतियों को दे रहे हैं और यही अंतर है कांग्रेस और भाजपा की सोच का किसान आंदोलन कर रहे हैं अपनी जमीन बचाने को फसल का उचित मूल्य पाने के लिए और अगर कांग्रेस समर्थन करती है तो भाजपा पूंजीपतियों के पक्ष में खड़ी होकर गाली देने का काम करती है हम भाजपा की बौखलाहट समझते हैं परंतु न्यूनतम राजनीतिक सौजन्य बरता जाना चाहिए।



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