निजी स्कूलों के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, हाईकोर्ट का फीस को लेकर आदेश




नवीन चौहान
लॉक डाउन में अर्थव्यवस्था के संकट से जूझ रहे निजी स्कूलों के अस्तित्व को बचाये रखने का खतरा मंडराने लगा है। हाईकोर्ट ने आन लाइन पढ़ाई करा रहे निजी स्कूलों के फीस लेने पर आपत्ति करते हुए कड़े आदेश जारी किए है। इसके अतिरिक्त कोर्ट ने LKG व UKG के छात्रों को दी जा रही ऑनलाइन शिक्षा का आंकड़ा भी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड के करीब 15 लाख से अधिक अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है।
कुँवर जपेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कड़े निर्देश जारी किए। हाईकोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। बताते चले कि लॉक डाउन के दौरान निजी स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेज शुरू कर दी थी। आन लाइन क्लासेज शुरू करने के बाद स्कूल प्रबंधकों की ओर से अभिभावकों को फीस लेने के लिए संदेश भेजे गए। जिसके बाद कुंवर जपेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की। इसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के शिक्षा सचिव को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह जनपद और ब्लाक स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करें। ताकि कोई भी प्राइवेट स्कूल लॉक डाउन के दौरान अभिभावकों से फीस ना ले सके। वहीं कोर्ट ने सरकार को आदेश का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि जो स्कूल अभिभावकों से जबरन फीस मांग रहे हैं उन पर तत्काल सरकार कार्रवाई भी करें। कोर्ट में सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि राज्य सरकार के 2 मई 2020 के उस आदेश का पालन करें जिसमें सरकार द्वारा फीस देने पर रोक लगाई थी। मामले में कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं कि शिक्षा सचिव कोर्ट को बताएं कि प्रदेश भर में कितने छात्र छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं।
कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वह फीस जमा करने को लेकर अभिभावकों को किसी भी प्रकार का नोटिस जारी ना करें। वहीं कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव से पूछा है कि उत्तराखंड में स्कूलों और अभिभावकों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की क्या सुविधा है। देहरादून निवासी जपेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों के द्वारा ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर जबरन अभिभावकों से फीस मांगी जा रही है साथ ही जबरन ऑनलाइन क्लास पढ़ाई जा रही है जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है वहीं उत्तराखंड में कई स्थानों पर इंटरनेट की व्यवस्था नही है और कई लोगो के पास मोबाइल व अन्य गैजेट नहीं है जिससे कई बच्चे पढ़ाई से वंचित रह पा रहे हैं, लिहाजा ऑनलाइन पढ़ाई के स्थान पर दूरदर्शन के माध्यम से सभी बच्चों की पढ़ाई की जाए।
वही दूसरी ओर निजी स्कूलों की वास्तवि​क स्थिति को देखा जाए तो लॉक डाउन के बाद से सभी स्कूल आर्थिक संकट से जूझ रहे है। कुछ निजी स्कूलों ने पैंसा ना होने के कारण कर्मचारियों का वेतन तक नही दिया है। वही स्कूलों में कार्य करने वाले अध्यापक, आफिस स्टॉफ और बस चालकों का वेतन देने लिए पैंसों का संकट बना हुआ है। कुछ निजी स्कूल प्रबंधकों ने अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। ऐसे में अगर प्रदेश के निजी स्कूलों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हुआ तो हजारों लोग बेरोजगार हो जायेंगे। सरकार की ओर से निजी स्कूलों के संचालन को बरकरार रखने के लिए कोई ठोस पहल नही की गई है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अभिभावकों ने निजी स्कूलों के खिलाफ नजरे तिरछी कर ली है। ऐसे में निजी स्कूल अपने ​अस्तित्व को बरकरार करने के लिए धर्मसंकट की स्थिति में फंस चुके है।



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