मालन नदी का पुल टूटा तो याद आया कोटद्वार-हरिद्वार का पुराना मार्ग




नवीन चौहान.
बरसात में कोटद्वार और भाबर को जोड़ने वाला मालन नदी का पुल टूटने के बाद अधिकारियों को अब पुराना कोटद्वार-हरिद्वार रोड याद आ गया है। अब वै​कल्पिक मार्ग के रूप में इसे ही आवाजाजी के लिए इस्तेमाल करने लायक बनाया जा रहा है। अधिकारी स्वयं खड़े होकर इस मार्ग की साफ सफाई करते नजर आ रहे हैं, जिसे देखकर स्थानीय लोग तरह तरह के कमेंट भी कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा गया लौट के बुद्धू घर को आए: इस पोस्ट में आगे डिटेले से जो लिखा है वह कुछ इस प्रकार है— इस पोस्ट में नजर आ रही तस्वीरों में आप देख रहे होंगे कि कुछ सरकारी मुलाजिम पुरानी कोटद्वार-हरिद्वार रोड में उगी घास हटाते व साफ-सफाई करते हुये नजर आ रहे हैं, ये पुरानी हरिद्वार रोड गिवईं स्रोत से डिग्री कालेज होते हुए लालपुर ध्रुवपुर की बगल से गुजरते हुये सुखरो नदी को पार कर सत्तीचोड़, मवाकोट से लगकर कण्वआश्रम होते हरिद्वार तक जाती थी।

समय बदलता गया कोटद्वार भाबर बसा तो नई-नई सड़कें बनी दशकों बाद पुल भी बने और लोगबाग व सरकारें भी इस ऐतिहासिक पुरानी कोटद्वार-हरिद्वार रोड को भूल गये, किसी ने भी इस महत्वपूर्ण सड़क के रखरखाव की ओर ध्यान ही नही दिया, लेकिन 2 दिन पहले जब कुछ वर्षों पूर्व मालनी नदी पर बना पुल अनियोजित खनन व भारी बारिश के बाद टूट गया जो कि कोटद्वार-भाबर को जोड़ता था, पुल टूटने से शासन-प्रशासन को कोटद्वार-भाबर को जोड़ने का तब एकमात्र विकल्प यही पुराना कोटद्वार-हरिद्वार मार्ग नजर आया। इसलिए आज मजबूरी में शासन-प्रशासन को इस ऐतिहासिक सड़क की याद आई तब उसकी साफ-सफाई व मरम्मत के ये चित्र दिख रहे हैं।

जबकि होना तो यह चाहिये था कि हमारी सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को पुरानी कोटद्वार- हरिद्वार सड़क के रखरखाव को बनाये रखते हुये इसे अतिरिक्त संपर्क मार्ग के रूप में ब्यवस्थित रखना चाहिये था, खैर ये समय का पहिया है लौट कर वंही आता है।

वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों का कहना है कि जितने भी पुराने मार्ग है, उन्हें सभी का व्यवस्थित रखते हुए चालू रखना चाहिए, पहले के जो मार्ग के थे वह विपरीत परिस्थितियों में भी बंद नहीं होते थे, लेकिन अब जो मार्ग बने हैं वह आपदा में बंद हो जाते हैं। कोटद्वार निवासी राजकुमार का कहना है कि अनियोजित विकास ही बर्बादी का कारण बन रहा है। नदियों से हो रहे अवैध खनन की वजह से इस तरह के संकट आ रहे हैं। प्रदेश की सभी नदियों में अवैध खनन हो रहा है लेकिन जिम्मेदार आंखें बंद किये बैठे हैं।

कोटद्वार निवासी सूरज रावत का कहना है कि सरकार भ्रष्टाचार पर वार करने की बात कहती है लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन का कारोबार फलफूल रहा है। आबादी में अनियोजित तरीके से हो रहे निर्माण कार्यों से पानी की निकासी बंद हो रही है, जिस कारण पर्वतीय शहरों में भी जलभराव की समस्या सामने आ रही है। मालन नदी के पुल का रखरखाव यदि समय से कर लिया जाता तो आज यह सब नहीं देखना पड़ता। स्थानीय विधायक की ही अधिकारियों ने नहीं सुनी आम जनता की कैसे सुनवाई होगी।

गोपाल सिंह का कहना है कि जब तक जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाएंगे इस तरह की समस्याएं आती रहेंगी। अतिक्रमण की समस्या सभी स्थानों पर हो रही है, लेकिन अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं, हादसा होता है तो सारी मशीनरी हरकत में आ जाती है एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपने कर्तव्य का पालन कर लिया जाता है। मालन नदी के पुल मामले में भी यही हुआ। ऋतु खंडूरी जी अधिकारियों से बार बार इस पुल के रखरखाव के लिए कहती रहीं लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। नतीजा आज सबके सामने हैं। अब जांच बैठाने की बात कही गई है, जांच पर जांच बैठती जाएंगी और दोषी अपने बचाव का कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगा।



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