नवीन चौहान
देवभूमि उत्तराखंड सैनिकों की भूमि है। उत्तराखंड की मिटटी से राष्ट्रभक्ति की सुगंध महकती है। मां भारती की सेवा में अपने प्राणों का न्यौछावर करने वाले सच्चे सपूतों के माता—पिता के चरणों में बारंवार नमन है।
ऐसे ही एक वीर सच्चे सपूत शहीद मेजर प्रणय नेगी अपने जन्म देने वाली मां को छोड़कर मां भारती की गोंद में गहरी नींद सो गए। भारत मां ने अपने बेटे को आगोश में लिया तो धरती पर पिता की आंखों में गर्व का भाव दिखाई दिया। बेटे के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने आए शहीद मेजर प्रणय नेगी के पिता सुदर्शन नेगी से की गई बातचीत को पढ़ेंगे तो उत्तराखं के सच्चे सपूत पर गर्व करेंगे। पिता ने तबीयत खराब होने पर कारगिल से नीचे आने को बोला तो बेटे ने कहा कि लग्जरी जिंदगी ही जीनी है तो फौज में क्यो आया। अर्थात मेरे लिए देश पहले है। यही सच्चे उत्तराखंड के लाल की पहचान है।
एकलौते जवान बेटे के शहीद हो जाने के बाद भी पिता सुदर्शन नेगी खुद एक सैनिक पिता होने की हिम्मत दिखा रहे है। दिल से निकलने वाले आंसूओं को दिल में छिपाकर बेटे की बहादुरी और जज्बे को बता रहे है। सुदर्शन नेगी ने बताया कि बेटा प्रणय नेगी बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक रखता था। लेकिन एक बार स्कूल के स्पोर्टस डे के अवसर पर सेना के बिग्रेडियर मुख्य अतिथि के रूप में आए। बिग्रेडियर के सम्मान को देखकर प्रणय नेगी ने सेना में भर्ती होने की ठान ली। फौजी की वर्दी देखकर प्रणय ने सेना की वर्दी पहनने का इरादा कर लिया। इसके लिए पढ़ाई शुरू कर दी और एनडीए में सलेक्शन हो गया। वह भारतीय वायु सेना में भर्ती होना चाहता था। लेकिन एयर फोर्स में किसी कारण से वह भर्ती होने से रह गए।
पिता सुदर्शन ने प्रणय को सेना में भर्ती होने का इरादा बदलने की सलाह दी। लेकिन भारत माता के सच्चे सपूत अपना इरादा नही बदलते। प्रणय नेगी का तो जन्म ही मां भारती की सेवा करने के लिए हुआ था। इसीलिए प्रणय नेगी ने अपने बुलंद हौसले के साथ बीटेक की पढ़ाई शुरू कर दी। बीटेक की परीक्षा पास करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती होने की तैयारी शुरू कर दी और आईएमए में चयनित हो गए। प्रणय नेगी 94 मीडियम रेजीमेंट में मेजर के पद पर भारत मां की सेवा में जुट गए।
मेजर प्रणय नेगी को बंदूक चलाने का शौक था। देश सेवा का जज्बा उसके भीतर कूट—कूटकर भरा हुआ था। बेहद साहसी योद्धा की तरह वह देशभक्ति में लीन था।
बताते चले कि शहीद मेजर प्रणय नेगी ने नाना नत्थी चंद्र रमोला भी भारतीय सैनिक रहे और द्धितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लिया। ब्रिटिश सेना में भर्ती होने के बाद गढ़वाल रायफल्स का हिस्सा बने और उन्होंने कई युद्ध लड़े तथा दुश्मनों के दांत खटटे किए। जबकि दादा भाग सिंह नेगी भी भारतीय सेना में रहे और मां भारती की सेवा करते रहे।
पिता सुदर्शन नेगी बताते है कि वह भारतीय सेना में तो भर्ती नही हो पाए लेकिन एकलौते बेटे प्रणय नेगी को मेजर की वर्दी में देखकर गर्व महसूस करते थे। बेटे की आंखों में देश के प्रति सम्मान देख और देश की रक्षा करने का जज्बा देखा है। प्रणय का एक डेढ़ साल का बच्चा है। वह अपनी मम्मी और मुझसे वीडियो कॉल पर बात करता था। उसका बेटा भी वीडियो कॉल पर अपने पापा प्रणय को पहचाने लगा था। पापा बोलने लगा था। प्रणय की पोस्टिंग लेह में भी। उसके पापा ने पूछा कैसा लग रहा है तो बताया आक्सीजन की कमी हो रही है। जिसके चलते सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ठंड का असर हो रहा है, याददास्त कमजोर पड़ रही है। मैंने उससे कहा कि अगर प्राब्लम हो रही है तो सीओ को बोलकर नीचे आ जाओ। प्रणय नेगी ने बोला कि लग्जरी लाइफ जीनी थी तो फौज में क्यो आया। देशभक्त बेटे प्रणय नेगी की यह आखिरी बात एक पिता की आंखों का नम कर गई। पिता को भावुक कर गई।
खड़खड़ी श्मशान घाट पर बेटे के पार्थिव शव को अंतिम विदाई देने आए पिता सुदर्शन नेगी की यह बात सैनिकों के सम्मान में सच्ची श्रद्धांजलि है।