शुभम
लोकसभा ने आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल बुधवार को पारित कर दिए। इससे पहले सदन में बिलों पर चर्चा हुई। नए कानून में आतंकवाद,महिला विरोधी अपराध, देशद्रोह पर नए प्रावधान पेश
बुधवार (20 दिसंबर) को लोकसभा ने आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन विधेयकों भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 बिल पारित कर दिया। इन बिलों को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इनका उद्देशय कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना है। लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ने इन तीनों कानूनों में बदलाव कर कई पुराने औपनिवेशिक कानूनी प्रावधानों को रद्द कर दिया है।
इन विधेयकों को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अलग-अलग लोगों से 158 बैठकें कीं और और 18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 हाई कोर्ट और 27 न्यायिक अकादमियों समेत कई सांसदों और नौकरशाहों से प्राप्त 3,200 सुझावों पर माथापच्ची की। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ये तीनों कानून औपनिवेशिक काल से चले आ रहे थे। बिल पेश करते हुए शाह ने लोकसभा में कहा कि मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है।
बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक का ध्यान सजा देने के बजाय त्वरित न्याय देने पर है। कानूनों में आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा है और “राज्य के खिलाफ अपराध” नामक एक नया खंड पेश करते हुए राये तीनों बिल पहली बार संसद के मानसून सत्र के दौरान अगस्त में सदन में पेश किए गए थे। गृह मामलों की स्थायी समिति द्वारा इनमें कई सिफारिशें करने के बाद, सरकार ने विधेयकों को वापस ले लिया था और पिछले सप्ताह उनका पुन: प्रारूपित संस्करण पेश किया था।
विधेयक में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच, आरोप पत्र दाखिल करने, मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही, परीक्षण, जमानत, निर्णय और दया याचिकाएं आदि के लिए समय-सीमा तय की गई है। इनमें से एक धारा 45 दिनों के भीतर मामलों को निपटाने पर भी जोर देती है। गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में कहा कि नये कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है।
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता संशोधन विधेयक ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ली है। इसमें बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया है। आईपीसी में पहले 511 धाराएं शामिल थीं, जिसे कम कर अब 358 कर दिया गया है। संशोधित कानूनों में 20 नए अपराधों की शुरुआत, 33 मामलों में कारावास की अवधि बढ़ाकर कठोर दंड और 83 मामलों में जुर्माना बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, 23 अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजाएं स्थापित की गई हैं, और छह मामलों में सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही, भारतीय दंड संहिता में एक महत्वपूर्ण संशोधन को चिह्नित करते हुए, 19 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है।
इसी प्रकार, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023,आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेगी। इसमें भी कई महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं। नए विधेयक में धाराओं की संख्या बढ़ाकर 531 कर दी गई हैं, जो पुरानी सीआरपीसी के तहत 484 थीं। इस परिवर्तन में नौ नए अनुभागों और 39 उपखंडों को समावेशित करने समेत कुल 177 प्रावधानों में सूक्ष्म समायोजन शामिल है। इसके अलावा, 44 नए प्रावधानों और स्पष्टीकरणों को निर्बाध रूप से एकीकृत किया गया है।