नवीन चौहान.
कर्नाटक चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। पार्टी को मंथन करना होगा कि ऐसा क्यों हुआ। जिस तरह से जनता ने कर्नाटक में भाजपा को नकारा उससे साफ जाहिर है कि कमी पार्टी की नीतियों की नहीं वहां के जनप्रतिनिधियों की है, उन मंत्रियों की है जिन पर जिम्मेदारी जनता के हित और प्रदेश का विकास करने की है।
भाजपा के अंदर जो सबसे बड़ी कमी इस समय नजर आ रही है वह स्थानी नेताओं की कार्यशैली है। भाजपा नेता अपना कोई कार्य जनता के सामने रखने में नाकाम साबित हो रहे हैं। जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार है वहां अधिकतर मंत्री और विधायक केवल केंद्र सरकार की उपलब्धियों का ही बखान जनता के सामने कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर प्रदेश में सरकार चला रहे हैं। प्रदेश सरकार अपनी कोई खास उपलब्धि जनता के सामने नहीं रख पा रही है जिसका सीधा नुकसान पार्टी को हो रहा है।
हालांकि यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पार्टी को मजबूत करने का काम किया है। उनके फैसले जनता को खूब पसंद आ रहे हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ रही है। माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई जिस तरह से यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ करा रहे हैं, ऐसे की मॉडल की मांग दूसरे प्रदेशों से भी होने लगी है। योगी जी की लोकप्रियता ही इस बार निकाय चुनाव में भाजपा के खाते में 17 में 17 सीटों पर मेयर प्रत्याशी को जीताकर लायी।
देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी होने के बाद इस पार्टी के कार्यकर्ताओं की महत्वकांशाएं बढ़ गई है। चुनाव आता है तो हर कोई अपने लिए टिकट की दावेदारी करता है, टिकट नहीं मिलता तो पार्टी से बागवत कर बैठता है, जिसका नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़ता है। कहने को पार्टी में संगठन हर स्तर पर जांच पड़ताल और राय मशविरा के बाद टिकट देता है लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो संगठन में जिसका दबदबा है वही तय करता है कि किसे टिकट दिया जाए या नहीं।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कर्नाटक चुनाव के बाद भाजपा को अपने अंदर की कमियों को दूर करने के लिए झांकना होगा। उस सच को स्वीकार करना होगा जो कमी उसके अंदर है। जनता लगातार महंगाई की मार झेल रही है, ऐसे में भाजपा सरकार को जनता को राहत दिलाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। ये बात सही है कि केंद्र सरकार लगातार देश में विकास कार्य करा रही है लेकिन आम जनता के मुद्दों को उसने पीछे कर दिया है। सिलेंडर की बढ़ती कीमतों पर काबू नहीं पाया जा रहा है। सरकार को सिलेंडर की कीमत नीचे लाने पर विचार करना ही होगा।
बात यदि उत्तराखंड की करें तो यहां भी अभी केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के कामकाज का ही बखान प्रदेश की भाजपा सरकार कर रही है। प्रदेश सरकार अभी तक अपनी कोई खास उपलब्धि जनता के सामने नहीं रख सकी है। यहां भी पार्टी के अंदर गुटबाजी बहुत है, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यदि इस गुटबाजी पर काबू नहीं पाया गया तो वैसे चुनाव परिणाम यहां देखने को नहीं मिलेंगे जैसे परिणाम की वर्तमान में भाजपा संगठन को है।
पार्टी ने कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं को फिलहाल हाशिए पर रखा हुआ है, यदि चुनाव से पहले पार्टी संठगन ने उनका सही इस्तेमाल नहीं किया तो वह भी चुनाव के दौरान बगावत कर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसीलिए विशेषज्ञ कह रहे हैं कर्नाटक चुनाव के नतीजों से भाजपा को सबक लेना होगा। मोदी के नाम पर ही चुनाव जीत लेंगे इस भ्रम से बाहर निकलना होगा। नरेंद्र मोदी जनता में लोकप्रिय है यह बात सही है लेकिन स्थानीय स्तर पर जो नेता चुनाव लड़ेंगे उनका भी जनता के बीच लोकप्रिय होना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं होगा तो जनता जवाब देगी।