​किसान के बेटे ने जीवन भर दिलाया पीड़ितों को न्याय, बार काउंसिल ने दिया बड़ा सम्मान




  • ऐसा था स्व- दलसिंह चौहान एडवोकेट का व्यक्तित्व
  • लड़कियों की शिक्षा को दिया बढ़ावा, समाजिक कार्यों में रहे आगे

नवीन चौहान.
स्व. दल सिंह चौहान एडवोकेट के तैल चित्र का शुक्रवार को मेरठ बार एसोसिएशन के सभागार में अनावरण मुख्य अतिथि माननीय जिला जज मेरठ रजत सिंह जैन जी के द्वारा किया गया। इस मौके पर मेरठ बार अध्यक्ष चौधरी गजेंद्र पाल सिंह, महामंत्री अजय कुमार शर्मा, विशिष्ट अतिथि बार काउंसिल के सदस्य व पूर्व चेयरमैन, वरिष्ठ अधिवक्ता रोहिताश्व अग्रवाल, कोषाध्यक्ष लोकेश तोमर आदि मौजूद रहे।

किसान परिवार में जन्मे और संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत कर वकालत की पढ़ाई पूरी की. डिग्री हासिल करने के बाद काला कोट पहनकर कोर्ट परिसर में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए जूझते रहे. बच्चों में शिक्षा और संस्कारों का दीप प्रज्वलित किया तथा देशभक्ति की अलख जगाई. दो बच्चों को पत्रकार बनाकर जन सेवा में समर्पित कर दिया. जिंदादिली की जागती मिसाल स्वर्गीय दल सिंह चौहान एडवोकेट का व्यक्तित्व शानदार रहा।

एक छोटे किसान परिवार में जन्म लेकर दलसिंह चौहान एडवोकेट ने न केवल अपने माता पिता का नाम रोशन किया बल्कि गांव और समाज में भी एक अलग पहचान बनायी। स्व0 श्री दलसिंह चौहान जी का जन्म मेरठ जिले के गांव मटौर में हुआ था। पिता छोटे किसान थे, उनकी संतानों में दो पुत्र और तीन बेटियों में श्री दलसिंह चौहान सबसे बड़े बेटे थे।

अपनी शिक्षा के साथ साथ उन्होंने अपने भाई और बहनों को भी शिक्षा दिलायी। इनके छोटे भाई आर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर हुए जबकि एक बहन अध्यापिका के पद से रिटायर हुई। 30 जून 1941
में पैदा हुए दलसिंह चौहान ने इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद शुगर मिल में नौकरी शुरू की। नौकरी के साथ साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की। शुगर मिल में उच्च पद पर होने के बावजूद उन्होंने लोगों को न्याय दिलाने के लिए वकालत की पढ़ायी की। पढ़ायी पूरी होने के बाद उन्होंने अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी और लोगों को न्याय दिलाने में जुट गए। इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां आयी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

वर्ष 1962 में उनका विवाह पल्हैड़ा गांव निवासी स्वतंत्रता सेनानी रत्नाकर शास्त्री की बड़ी बेटी सरला देवी के साथ हुआ। इनकी पत्नी का वर्ष 2016 में देहांत हो चुका है। अपने परिवार को एजुकेशन दिलाने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी अपनी संतानों को उन्होंने अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलायी। उनके दो बेटे वरिष्ठ पत्रकार हैं जो बड़े मीडिया समूहों में बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। बड़ा बेटा ब्रजेश चौहान वर्तमान में मेरठ अमर उजाला में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत है। छोटे बेटे अजय चौहान वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता के साथ साथ एक मीडिया संस्थान से भी जुड़े हैं। इनका एक बेटा मुकेश चौहान जर्मन में इंजीनियर है।

श्री दलसिंह चौहान जी हमेशा शिक्षा पर जोर देते रहे। यही वजह है उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से श्री मल्हू सिंह आर्य कन्या इंटर कॉलेज मटौर का कई वर्षों तक प्रबंधक का पद संभाला। ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने श्री मल्हू सिंह आर्य कन्या डिग्री कॉलेज समिति के आजीवन सचिव रहते हुए​ डिग्री कॉलेज की स्थापना के लिए भवन निर्माण कराकर मिल का पत्थर रखा। उनकी देखरेख में श्री मल्हू सिंह आर्य कन्या इंटर कॉलेज की क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित हुई। यहां पढ़ रही लड़कियों ने जनपद और प्रदेश में अपनी प्रतिभा का परिचय देकर नाम रोशन किया।

उनका प्रयास था क्षेत्र में लड़कियों के लिए एक डिग्री कॉलेज की स्थापना कराना। इस दिशा में वह अपने अंतिम दिनों तक भी सतत प्रयास करते रहे। उनके इस प्रयास से ही क्षेत्र में श्री मल्हू सिंह ​आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की स्थापना अब अपने अंतिम चरण में है। जल्द ही लड़कियों के लिए अलग डिग्री कॉलेज की स्थापना हो जाएगी।

कचहरी परिसर में प्रैक्टिस करते हुए उन्होंने अपने मुवक्किलों को न्याय दिलाने का कार्य किया। अपने मृदुल व्यवहार के लिए वह अपने साथी अधिवक्ताओं में लोकप्रिय रहे। मिलनसार श्री दलसिंह चौहान सामाजिक कार्यों में भी सदैव अग्रणी भूमिका में दिखे। हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे कदम बढ़ाया। अपने भाई बहनों को कभी किसी चीज का अभाव नहीं होने दिया।

अपनेी संतानों को भी यह शिक्षा दी कि हमेशा दूसरों की मदद करो, अपना कर्म करते रहो, फल एक न एक दिन जरूर मिलेगा। उन्होंने सदैव समाजिक जीवन जीया। नई नई उपलब्धियों को पाकर भी कभी घमंड नहीं किया। गांव में जहां वह स्वयं एक साधारण किसान की भूमिका में होते थे तो कचहरी में एक प्रोफेशनल अधिवक्ता के रूप में नजर आते थे।



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