सिपाही का सम्मान बचाने की खातिर, एसएसपी ने जज की ही करा दी जांच




नवीन चौहान
खाकी वर्दी पुलिस का गौरव है। खाकी वर्दी सिपाही से लेकर पुलिस अफसरों को कानून का अनुपालन कराने का बोध कराती है। लेकिन अगर कोई अपनी हनक के चलते इस वर्दी को ही उतरवा दें तो उस पुलिसकर्मी के दिल पर क्या गुजरेंगी यह समझ पाना सहज नही होगा। सिपाही से बदसलूकी की एक घटना यूपी के मथुरा की है। जहां एक जज ने सिपाही की वर्दी इसलिए उतरवा दी कि वह रास्ते में जज के वाहन के हार्न को सुन नही पाया। उसके बाद जज ने अपनी हनक दिखाते हुए सिपाही को कोर्ट में बेवर्दी कर दिया। सिपाही असहज हो गया तो किसी ने इस घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी। एसएसपी सिपाही का मनोबल बढ़ाने और खाकी का इकबाल बुलंद रखने के लिए पूरे घटनाक्रम की जानकारी की। पूरे प्रकरण की जांच कराई गई। जिसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट के जजों को भेज दी। जिसके बाद जज पर कार्रवाई हुई।
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए एसएसपी बबलू कुमार ने दो एएसपी को लगा दिया गया। मात्र 2 घंटे में जब एविडेंस जुटाए गए। एसएसपी की रिपोर्ट को इंतजार आगरा पुलिस का एक—एक सिपाही कर रहा था। पुलिस अपने सिपाही के साथ कंधे से कंधा मिलाकर टकटकी लगाए देख रहे थे। एसएसपी ने पूरी निर्भीकता से रिपोर्ट तैयार कराने के डीजीपी लखनऊ भेज दी। बाद में हाईकोर्ट के जजों को भेज दी। डीजीपी लखनऊ द्वारा कप्तान की रिपोर्ट को डिटो करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट को एक एसीजीएम द्वारा किया गया घिनौने काम को परत दर परत मजबूती के साथ खोलना शुरु किया। एसएसपी की रिपोर्ट इतनी मजबूत थी उसको जज भी नकार नहीं सके।
एसएसपी की जांच रिपोर्ट का परिणाम ये रहा कि शाम आते आते आखिरकार जज का विकेट ही गिर गया। इसके अलावा उसके प्रमोशन पर आगरा पुलिस ग्रहण बन कर बैठ गई। आगरा कप्तान बबलू कुमार की जितनी तारीफ की जाए कम है। कप्तान की सटीक कार्यवाही को देखते हुए आगरा पुलिस एवं कर्मचारियों का इकबाल फिर बुलंद हुआ है।



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