नवीन चौहान
हरिद्वार के सिडकुल में बिल्डरों का दलाल बिजली का कनेक्शन कराता है। बिल्डरों की धींगा मस्ती के सामने बिजली विभाग पूरी तरह से सरेंडर है। बिजली विभाग के अधिकारियों की बेबसी ये है कि वह उपभोक्ता को सीधे तौर पर कनेक्शन देने से घबराते है। जिसके लिए बिल्डरों की अनुमति लेते है। अगर किसी ने कनेक्शन हासिल कर भी लिया तो बिल्डरों की अनुमति के बिना बिजली विभाग के कर्मचारी मीटर लगाने नही पहुंच सकते है। ऐसा हाल कुछ हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र में चल रहा है।
बताते चले कि सिडकुल में कुछ नामी बिल्डरों ने अपने अपार्टमेंट बनाए हुए है। जिसमें बिल्डर खुद ही बिजली बेचते है। बिल्डर बिजली विभाग से बिजली खरीदकर मंहगे दामों पर अपने ग्राहकों को देते है। इनके अलावा अपार्टमेंट के नजदीक की ही बिल्डरों ने कुछ प्लाट भी बेचे है। इन प्लाट को खरीेदने वाले ग्राहक बिजली का कनेक्शन पाने को लेकर बिजली विभाग के चक्कर लगाते रहते है। बिजली विभाग सीधे तौर पर कोई रास्ता नही दे रहा है। प्लाट बेचने वाले बिल्डर ग्राहक को दलाल के माध्यम से कनेक्शन कराने की बात करते है। दलाल कनेक्शन के नाम पर मोटी रकम ऐठ रहा है। जो ग्राहक दलाल के माध्यम से कनेक्शन नही कराते उनको बिल्डर और बिजली विभाग कोई रास्ता नही देते है। ऐसे ही एक प्लाट के खरीदार उपभोक्ता ने अपनी व्यथा बताई है। पिछले छह माह से एक उपभोक्ता बिजली का कनेक्शन पाने के लिए भटक रहा है। जबकि मकान का निर्माण करने के दौरान उपभोक्ता को अस्थायी कनेक्शन दिया गया था। उपभोक्ता ने अस्थायी कनेक्शन का करीब 26 हजार का बिजली बिल भी जमा करा दिया था। ऐसे में जब उपभोक्ता अपने कनेक्शन को स्थायी कराने पहुंचा तो बिल्डर की मनमानियों से रूबरू होना पड़ा। बिल्डर ने सीधे तौर पर कनेक्शन लेने के लिए अपनी एनओसी लेने की बात कही। जबकि प्लाट बेचने के बाद ग्राहक को बिजली का कनेक्शन बिजली विभाग से लेने की आजादी है। लेकिन उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली विभाग बिल्डरों के सामने पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है। पूर्व में कुछ उपभोक्ताओं ने बिल्डरों की मनमानी की शिकायत तत्कालीन जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी से भी की थी। जिसके बाद डीएम ने उपभोक्तों की शिकायत पर बिल्डरों के खिलाफ जांच कराने के आदेश दिए थे। लेकिन बिजली विभाग की ओर से बिल्डरों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नही कराई गई। ऐसे में कही ना कही बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत होने अथवा मूक समर्थन की बात भी सामने आ रही है।