हरिद्वार के मुख्य शिक्षाधिकारी को निजी स्कूल का करना पड़ा स्टिंग आप्रेशन, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान
हरिद्वार के मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज को निजी स्कूलों के मंसूबों को फेल करने के लिए स्टिंग आप्रेशन का सहारा लेना पड़ा। दून कैंब्रिज स्कूल की पोल खोलने के लिए एक व्यक्ति को नकली ग्राहक बनाकर बुक सेलर की दुकान पर भेजा। जिसके बाद निजी स्कूल की लूट—खसोट करने के तरीके की पोल खुली। हालांकि इस मिशन को पूरा करने के लिए मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज की दृढ़ इच्छाशक्ति रही। जिसके चलते निजी स्कूल प्रबंधक अभिभावकों की जेब ढीली करने का सपना छोड़ने का मन बना रहे है। मुख्य शिक्षाधिकारी के एक के बाद एक ताबड़तोड़ छापेमारी ने निजी स्कूलों की हालत पतली करने में लगे है। उनकी इस छापेमारी की कार्रवाई से हरिद्वार के तमाम अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है वही शिक्षा विभाग पर उनका विश्वास भी गहरा हुआ है। निजी स्कूलों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
कोरोना संक्रमण काल में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने अभिभावकों को बड़ी राहत देते निजी स्कूलों से प्रतिमाह शिक्षण शुल्क लेने का शासनादेश जारी किया था। इसके अलावा किसी प्रकार के अतिरिक्त शुल्क को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया था। शासनादेश का पालन नही करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने इस शासनादेश का सख्ती से अनुपालन कराने के आदेश मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज को दिए। जिसके बाद आनंद भारद्वाज ने निजी स्कूलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों को टयूशन फीस लेने के आदेश जारी कर दिए गए। इस आदेश का परीक्षण करने के लिए गोपनीय स्तर पर चेकिंग शुरू की गई। उन्होंने अभिभावकों को अपना व्हाट़सएप नंबर देकर गोपनीय शिकायत दर्ज कराने की बात कही। जिसके बाद अभिभावकों ने निजी स्कूलों के तमाम मैसेज और फीस मांगने के तरीके और किताबों की दुकानों के नाम मुख्य​ शिक्षाधिकारी को भेजने शुरू कर दिए।
इसी क्रम में मुख्य शिक्षाधिकारी आनंद भारद्वाज ने एक अभिभावक की शिकायत पर हरिद्वार के बाईपास मार्ग स्थित दून कैंब्रिज स्कूल की गड़बड़झाले को रंगेहाथों पकड़ा। स्कूल ने भार्गव बुक डिपों को किताबे देने की जिम्मेदारी दी थी। ये किताब निजी प्रकाशक की थी। जो कि उत्तराखंड सरकार के आदेश का सरासर उल्लघंन था। उत्तराखंड में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कराने की अनुमति है। इसके बाबजूद दून कैंब्रिज स्कूल निजी प्रकाशक की किताबे खरीदने के लिए अभिभावकों को विवश कर रहा था।
निजी स्कूल दून कैंब्रिज की पोल खोलने तथा खेल से परदा उठाने के लिए के लिए आनंद भारद्वाज की सहयोगी उप शिक्षाधिकारी बहादराबाद दीप्ति यादव ने एक व्यक्ति को नकली ग्राहक बनाकर दुकान पर भेजा और किताबे खरीदकर बिल हासिल किया। आखिरकार मुख्य शिक्षाधिकारी को निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए स्टिंग आप्रेशन का सहारा लेना पड़ा। इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि कितनी जटिल परिस्थितियों में रहकर आनंद भारद्वाज अभिभावकों को राहत देने के लिए प्रयासरत है। हालांकि हरिद्वार के सभी अभिभावकों का उनको समर्थन हासिल है। वही कुछ मैनेजमेंट के निजी स्कूल भी उनकी मुहिम का हिस्सा बन चुके है। फिलहाल आनंद भारद्वाज कर्तव्यपथ पर चलकर हरिद्वार के अभिभावकों के लिए एक सुखद मार्ग प्रशस्त करने में लगे है।



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