नवीन चौहान.
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में इस बार सबसे अधिक चर्चाओं में जो सीट है वह हरिद्वार लोकसभा है। इस सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बनते दिख रहे हैं। बसपा ने इस सीट से मुस्लिम प्रत्याशी जमील अहमद मौलाना को उतार कर मुकाबला रौचक बनाया है। कांग्रेस से इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेट विरेंद्र रावत चुनाव मैदान में है। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव मैदान में उतारा है।
उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट इस बार सबसे अधिक चर्चाओं में है। हरिद्वार संसदीय सीट पर करीब 20 लाख 37 हजार मतदाता हैं। इस सीट में देहरादून जिले की तीन विधानसभाएं धर्मपुर, डोईवाला और ऋषिकेश भी शामिल हैं। ये तीनों सीटें पर्वतीय मूल बाहुल्य वाली विधानसभा हैं। जबकि हरिद्वार जिले की 11 विधानसभा सीटों पर ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या अधिक है।
हरिद्वार सीट पर दो बार से लगातार भाजपा का कब्जा है। इस सीट पर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने दो बार जीत दर्ज की। इस बार इस सीट को भाजपा की झोली में डालने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को दी है। जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने है। इसके लिए वह इस सीट पर सभी समीकरणों को साधकर चलते दिखायी दे रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरिद्वार की आठ विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस चुनाव में इन विधानसभाओं में भाजपा को फिर से मत प्रतिशत बढ़ाना होगा। मत प्रतिशत बढ़ाने के साथ साथ भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कांग्रेस और बसपा के गढ़ में भी सेंध मारी करनी होगी। जबकि कांग्रेस भी भाजपा में सेंधमारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। बसपा मुस्लिम और दलित वोटों के जरिए जीत का परचम फहराने के लिए कांग्रेस और भाजपा को कड़ी टक्कर देगी।
भाजपा प्रत्याशी जहां चुनौतियों से पार पाने के लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को जनता तक पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वहीं अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान किये गए कार्यों का ब्यौरा भी जनता के सामने रख रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2017 में सीएम पद संभाला था। मार्च 2021 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।