गंगा एस्केप चैनल: तो क्या मंत्रियों और नेताओं के होटलों के निर्माण पूरे होने का था इंतजार




नवीन चौहान
भाजपा की राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार के शासनादेश को निरस्त करने में तीन साल का समय लगा दिया, यह अपने आप में बड़ा सवाल उभरकर सामने आया । सूत्रों की माने तो हरिद्वार में गंगा के किनारे पूर्व सीएम हरीश रावत के खासमखास के साथ सत्ताधारी मंत्रियों के साथ भाजपा—कांग्रेस के बड़े नेताओं को होटलों को बनने देने का इंतजार था। बताया जा रहा है कि एक बड़े मंत्री का होटल श्रवणनाथ नगर में हाल ही में बना है। हालांकि इसे लेकर लोग दबी आवाज में चर्चा कर रहे हैं कि हरिद्वार के नेता और व्यवसायी गंगा के इस शासनादेश को न बदलने का दवाब बना रहे थे।
गंगा के एस्केप चैनल के हरीश रावत सरकार के शासनादेश को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निरस्त निरस्त करने की घोषणा कर दी है, लेकिन अब अगली चुनौती से निपटना मुश्किल होगा। क्योंकि हरिद्वार में गंगा के किनारे अवैध निर्माणों की बाढ़ सी चल रही थी। तो क्या अब नए शासनादेश से एनजीटी के नियमों का पालन कराते हुए निर्माणों को हटाया जाएगा या फिर जो आधे अधूरे निर्माणों पर रोक लगा दी जाएगी। ये कई सवाल गंगा प्रेमियों के जहन में उभर रहे हैं। इन होटलों में कांग्रेस और भाजपा के कई बड़े नेताओं के होटल भी शामिल है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार ने गंगा को एस्केप चैनल सन 2016 में घोषित कर दिया था। शासनादेश के तहत भागीरथी बिंदु, सर्वानंद घाट भूपतवाला से हरकी पैड़ी, मायापुर और दक्ष मंदिर कनखल तक बहने वाली गंगा को गंगनहर बता दिया था। उन्होंने यह शासनादेश गंगा के किनारे 200 मीटर की परिधि में बन रहे निर्माणों को वैध साबित करा दिया था। इसके बाद गंगा के किनारे लगातार निर्माण कार्य शुरू हो गए। कई आली शानदार होटल, कोठियां बन गई। धर्मशालाओं को तोड़कर कई बड़े निर्माण भी हुए।
उत्तर प्रदेश सरकार के दो होटल भी बने
गंगा को नहर का शासनादेश जारी होने के बाद से गंगा के किनारे निर्माणों की बाढ़ आ गई थी। गंगा के किनारे उत्तर प्रदेश सरकार के भी दो होटल बनें। जिनमें एक होटल अलकनंदा होटल के पास नया बन गया। तो दूसरा डामकोठी के पास शिवपैड़ी के पास बन गया। इन होटलों के बने से एनजीटी के आदेशों पर खूब सवाल उठे।



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