गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप- भारती




हरिद्वार। उमेश्वर धाम की परमाध्यक्ष स्वामी उमा भारती महाराज ने कहा है कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप होता है। जो भक्तों की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है और गुरू रूपी ज्ञान का अमृत जिस सौभाग्यवान व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है उसका जीवन अंधकार से मुक्त हो जाता है और उसके जीवन की सभी विसंगतियां दूर हो जाती है। वे आज उमेश्वर धाम में गुरू पूर्णिमा के पूर्व अवसर पर भक्तों को गुरू शिष्य परम्परा का सार समझा रही थी। उन्होंने कहा कि बिना गुरू के जीवन अधूरा है क्योंकि गुरू द्वारा बताये गये मार्ग पर चलकर और सत्कर्म करके ही व्यक्ति ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है। गुरू के द्वारा दिये गये ज्ञान का अनुसरण करके ही व्यक्ति संसारिक मोह माया त्यागकर अपने जीवन को सफलता की और अग्रसारित कर सकता है। स्वामी शिवानंद भारती महाराज ने कहा कि गुरू ज्ञान का वो भण्डार है जिसके ज्ञान की प्रेरणा पाकर व्यक्ति कठिन से कठिन जीवन में सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है और वह ईश्वर की प्राप्ति कर लेता है। स्वामी उमा भारती के परम शिष्य स्वामी आशीष भारती ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति का सबसे सरल तरीका गुरू के सानिध्य में है। जो व्यक्ति गुरू के सानिध्य में उनके ज्ञान से ओम प्रोत होकर समाज व राष्टहित के कार्य करता है। ईश्वर उसके कण-कण में विराजमान रहते हैं और गरीब, असहाय, दीन दुखियों की सेवा ही सच्ची कठिन लक्ष्य को भी सरलता से प्राप्त कर सकता है और संत रूपी गुरू की प्राप्ति जिस व्यक्ति को हो जाये उस्श्वर पूजा है। निर्धन और निशक्तजनों की सेवा करने से व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति होती है कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का आश्रम के प्रबन्धक रमेश कुमार और भक्तजनों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया।

 



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