नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण काल में समाजसेवी विशाल गर्ग मसीहा बनकर उभरे। उन्होंने आपदा काल में तमाम जरूरतमंदों की हरसंभव मदद की। गरीबों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था की। आपदा में फंसे लोगों को उनके घर भेजने के लिए वाहन की सुविधा की। पीड़ितों के घरों में सब्जी, राशन व तमाम जरूरत के सामान को भेजने में जुटे रहे। अपनी जान की परवाह किए बिना वह गरीबों की बस्तियों में उनकी मदद के लिए पहुंचे। उन्होंने मानवता और इंसानियत के धर्म को बखूवी निभाया। पीड़ितों के ह्दय से निकलने वाली पीड़ा विशाल गर्ग को समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका अदा करने की प्रेरणा देती है।
मानवीय गुणों से ओतप्रोत विशाल गर्ग का जन्म पंजाब के मोगा जिले में माता नरेश रानी गर्ग पिता स्वर्गीय रोशन लाल गर्ग के घर हुआ। एक व्यापारी परिवार में जन्म लेने से आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना बचपन से ही उनके दिल में रही। माता—पिता के दिए हुए संस्कारों का प्रभाव विशाल पर ऐसा हुआ कि वह दयालु हृदय के व्यक्तित्व के स्वामी बने। मां गंगा के तट हरिद्वार की कर्मभूमि पर विशाल गर्ग ने अपने उल्लेखनीय कार्यो से अलग पहचान बनाई।
गरीबों का आर्थिक सहयोग करना। अनाथ बच्चों की शिक्षा दीक्षा कराना। गरीब बच्चों की प्रतिभा को निखारते हुए उनको शिक्षा, खेलकूद व तमाम सांस्कृतिक गतिविधियों में आगे बढ़ाना विशाल गर्ग का मानो धर्म बन गया। विशाल समाजसेवा के क्षेत्र में प्रथम पंक्ति में खड़े होकर सभी की मदद करने के लिए आगे रहने लगे। इंसानियत की सेवा करने को अपना धर्म मानकर आगे बढ़ने वाले विशाल गर्ग ने कोरोना संक्रमण काल में सबसे बेहतर कार्य किया। उन्होंने गरीबों के लिए भोजन व तमाम जरूरी सामान की व्यवस्था की। मां नरेश रानी का आशीर्वाद लेने के बाद विशाल गर्ग ने कोरोना संक्रमण काल में एक विशाल अन्नक्षेत्र का संचालन शुरू किया। जिसमें प्रतिदिन सैंकड़ों गरीबों के लिए भोजन तैयार किया जाने लगा।
आपदा काल में गरीबों की समस्या और उनकी पीड़ा देखकर विशाल गर्ग का दिल भर आया। उन्होंने पूरे जोश और जज्बे के साथ गरीबों की सेवा करने में खुद को झोंक दिया। इस दौरान उन्होंने प्रशासन और पुलिस का भी हरसंभव सहयोग किया। मास्क व सेनेटाइजर का निशुल्क वितरण कराया। इंसानियत का धर्म निभाने वाले इस मानवीय गुण ने विशाल गर्ग को एक आदर्श व्यक्तित्व दिया। विशाल गर्ग ने समाजसेवा में सक्रिय भूमिका निभाने की श्रेय अपनी माता नरेश रानी गर्ग और पिता स्वर्गीय रोशन लाल गर्ग को दिया है। उन्होंने बताया कि माता—पिता की प्रेरणा और आशीर्वाद से ही वह सभी कार्यो को फलीभूत कर पाते है।
अभिभावकों का आशीर्वाद नित्य नए सतकर्म कार्यो को करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने बताया कि वह सभी की मदद करने के लिए सदैव तत्पर है और उनका ये मिशन आगे भी इसी प्रकार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि आपदा की स्थिति में देशवासियों की मदद सभी को करनी चाहिए। उन्होंने सिर्फ एक भारतीय होने का कर्तव्य निभाया है। वह आगे भी इसी प्रकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि मां का आशीर्वाद और भाई विकास गर्ग व विवेक गर्ग का सहयोग हरकदम पर साथ रहा है। इन सभी के सहयोग से वह अपने दायित्वों का निभा पा रहे है।
निशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन
विशाल गर्ग विगत कई दशकों से समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे है। निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाना। गरीब बस्तियों में जाकर उनका नेत्र परीक्षण कराना दवाई व निशुल्क चश्मे देना, उनकी खूबी रहा है। वह हमेशा से ही गरीबों की सेवा करने के लिए सबसे आगे बढ़कर कार्य करते रहे है।
कोरोना काल में 59 दिनों तक अन्नक्षेत्र
समाजसेवी विशाल गर्ग ने कोरोना संक्रमण काल में 59 दिनों तक अन्नक्षेत्र का सकुशुल संचालन किया। आपदा में फंसे यात्रियों, गरीब बस्तियों और औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों को भोजन पैकेट भिजवाये गए। वही गरीबों की झुग्गी झोपड़ियों में राशन वितरण किया।
व्यापारियों के हितों की रक्षा
कोरोना संक्रमण काल में समाजसेवी विशाल गर्ग ने व्यापारियों हितों की रक्षा के लिए भी आगे आगे। उन्होंने व्यापारियों की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाया। वही कमजोर व्यापारियों का आर्थिक सहयोग किया।