kedarnath dham में पंडा पुरोहितों की लूट—खसोट, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के देवास्थानम बोर्ड को याद कर रहे लोग





अक्षिता रावत
केदारनाथ धाम में पंडा पुरोहितों ने जमकर लूट खसोट मचाई हुई है। श्रद्धालुओं से वीआईपी दर्शन कराने के नाम पर चार से पांच हजार तक की वसूली की जा रही है। जबकि श्रद्धालुओं के रात्रि विश्राम के लिए प्रति कमरा 15 से 20 हजार रूपये तक की रकम ली गई। जबकि दाल भात की थाली 250 से 300 रूपये तक दी जा रही है। पंडा—पुरोहितों की दबंगई और लूट से आहत श्रद्धालु पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के देवास्थानम बोर्ड को याद कर रहे है।
विदित को कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चारधाम यात्रा की व्यवस्था को सकुशल बनाने के लिए देवास्थानम बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है। लेकिन केदारनाथ धाम के चंद पंडा—पुरोहितों ने अपनी लूट खसोट, दबंगई और धींगा मस्ती के चलते देवास्थानम बोर्ड बनाने के निर्णय का ​विरोध शुरू कर दिया। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पंडो पुरोहितों के तमाम विरोध के बावजूद देवास्थानम बोर्ड के अपने निर्णय पर अडिग रहे। उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटते ही नए मुख्यमंत्री ने देवास्थानम बोर्ड को भंग कर दिया।
लेकिन अब जब केदारनाथ धाम के कपाट खुले तो वहां की अव्यवस्था की पोल खुद हरिद्वार के भाजपा नेता और पूर्व पार्षद भूपेंद्र कुमार ने खोल दी। केदारनाथ धाम के दर्शन करके आए समाजसेवी और वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र कुमार ने अपने फेसबुक पर अनुभव को सांझा किया और बताया कि केदारनाथ धाम में पंडा पुरोहितों ने दर्शन कराने के नाम पर जमकर लूट मचाई हुई है। उन्होंने कहा कि देवास्थानम बोर्ड की याद श्रद्धालुओं और स्था​नीय जनता को खूब आ रही है। यदि देवास्थानम बोर्ड होता तो श्रद्धालुओं के साथ इस तरह का व्यवहार नही होता। केदारनाथ धाम में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। वहां पर पंडा पुरोहितों ने लूट खसोट मचाई हुई है। जबकि सरकार और प्रशासन पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है।
विदित हो कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कुछ ऐसे ही अडिग फैसलों के लिए आज भी याद किए जाते रहे है। जब बात उत्तराखंड के हितों की हो तो वह उन्होंने सर्वाधिक पैरोकारी प्रदेश की जनता के लिए की।जनहित के निर्णयों को मुखरता से उठाया और अपने राजधर्म का पालन किया। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी और पारदर्शी निर्णयों की चर्चा सत्ता के गलियारों में आज भी खूब होती है। सार्वजनिक रूप से त्रिवेंद्र का विरोध करने वाले भाजपा के ही विधायक भी बंद कमरों में पूर्व सीएम ​त्रिवेंद्र की ईमानदारी की चर्चा करने से खुद को रोक नही पाते। जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस त्रिवेंद्र की ईमानदारी और पारदर्शी निर्णयों की मुरीद है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जस का तस है कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जनता की समस्याओं को लेकर संजीदा कब होंगे। केदारनाथ धाम में पंडा पुरोहितों की दबंगई को रोक पायेंगे या फिर उनके साथ फोटो कराते रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की पहली पूजा के साथ ही श्रद्धालुओं की समुचित व्यवस्था सबसे पहली प्राथमिकता है।

बिना रजिस्ट्रेशन हो रहे दर्शन
केदारनाथ धाम में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया औंधे मुंह गिरी पड़ी है। रजिस्ट्रेशन कराकर केदारनाथ धाम पहुंचे यात्री चीख—चीख बोल रहे है कि पंडो पुरोहितों ने लूट मचाई हुई है। लेकिन सरकार है कि पंडा पुरोहितों के सामने चुप्पी साधे हुए है। बिना रजिस्ट्रेशन के यात्री पंडों की जेब गरम करके वीआईपी दर्शन कर रहे है। जबकि रजिस्ट्रेशन कराकर आए यात्री बिना दर्शन अपने घरों को लौट रहे है।



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