नवीन चौहान
उत्तराखंड के पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 4200 ग्रेड पे देने के फैसले से नाखुश है। 4600 ग्रेड पे की मांग कर रहे पुलिसकर्मियों को इस बार फिर निराश होना पड़ा। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने 4200 ग्रेड पे और एएसआई का पद देने का निर्णय केबिनेट की बैठक में लिया। इससे पुलिसकर्मियों की उम्मीद टूट गई। करीब दो दशकों से जनता की सेवा और सुरक्षा में तैनात रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाली पुलिस के लिए उत्तराखंड सरकार ने संजीदगी नही दिखाई। ऐसे में धामी सरकार से बड़ा सवाल है कि पुलिसकर्मियों के साथ इस तरह की नाइंसाफी क्यो की जा रही है। शहीद दिवस पर 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा को पूरी क्यो नही कर पाए। जबकि यूपी के जमाने से पुलिस विभाग में भर्ती पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे का लाभ मिल रहा है।
बताते चले कि पुलिस कर्मियों का प्रारंभिक ग्रेड पे 2000 रुपये होता है। इसके बाद पहली पदोन्नति अथवा 10 वर्ष की सेवा पर ग्रेड पे 2400 रुपये और फिर 16 साल की सेवा पूरी होने पर ग्रेड पे 4600 रुपये दिया जाता था। सातवें वेतनमान में एसीपी के स्थान पर एमएसीपी लागू हुई। इसमें 10, 20, 30 वर्ष की सेवा पर ग्रेड वेतन बढ़ाने की व्यवस्था की गई है। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने 20 साल की नौकरी पूरी करने के बाद पुलिसकर्मियों को वेतन बढोत्तरी का कोई लाभ नही दिया। उत्तराखंड गठन होने वाले कांस्टेबलों की पहली भर्ती साल 2002 में हुई। करीब दो हजार पुलिसकर्मियों को पुलिस महकमे का अंग बनाया। लेकिन 20 साल की नौकरी पूरी होने पर 4600 ग्रेड-पे देने की मांग अधर में लटकी रही। जिसमें पुलिस का 2002 का बैच भी शामिल था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की थी 4600 ग्रेड पे का लाभ पुलिस के जवानों को दिया जायेगा।
विदित हो कि साल 2002 के बैच में 1800 पुरूष और 200 महिलाओं को पुलिस में भर्ती किया गया। जबकि 500 से अधिक पुलिसकर्मी प्रमोशन व अन्य कारणों से 4600 ग्रेड पे की मांग में शामिल नही है। जबकि 20 साल की नौकरी पूरी करने वाले जवानों व उनके परिजनों ने 4600 ग्रेड पे देने को लेकर अनुशासित तरीके से अपनी बात शासन व सरकार तक पहुंचाने का कार्य किया। लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। जिसके चलते मिशन आक्रोश व तमाम आंदोलनों को हवा मिल गई। सरकार ने कड़ा रूख अपनाया और मिशन आक्रोश में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और जेल तक भेज दिया। लेकिन पुलिसकर्मियों को इंसाफ नही मिल पाया। ऐसे में पुलिसकर्मियों को बड़ी निराशा हुई है।
साल 2001 में भर्ती पुलिसकर्मी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित है। पुलिसकर्मी बूढ़े हो रहे, जिम्मेदारियां बढ़ रही है। कंधों पर एक स्टार सजेगा लेकिन पेट भूखा रहेगा। ऐसे में पुलिसकर्मियों का दिल टूटना स्वाभाविक है।
संभावना तो यह भी है कि कुछ पुलिसकर्मी बीआरएल लेकर नौकरी से विदाई ले ले। ताकि पीएफ और अन्य फंड से मिली धनराशि से कोई कारोबार शुरू कर ले। ताकि उम्र का आखरी वक्त अपने परिवार वालों के साथ गुजार ले। फिलहाल पुलिसकर्मी 4200 ग्रेड पे के निर्णय पर जारी होने वाले शासनादेश का इंतजार कर रहे है। उत्तराखंड सरकार को पुलिसकर्मियों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। जनहित के निर्णयों में संजीदा रहने वाली सरकार को पुलिस विभाग के लिए भी बड़ा दिल दिखाना चाहिए।