तो क्या हरीश रावत को सभाओं में बैठने के लिए अपना मोड़ा लेकर चलना पड़ेगा, पोस्टर से फोटो गायब होने पर जताई व्यथा




जोगेंद्र मावी
तो क्या पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सभाओं के साथ पार्टी के कार्यक्रमों में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी जा रही है। हरीश रावत ने अपने फोटो पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में न होने पर व्यथा व्यक्त करते हुए लिखा है कि अब वे बैठने के लिए अपना मोड़ा साथ लेकर चलेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी की ओर से नाम घोषित होने के बवाल उठाने के बाद सोशल पेज पर यह सब कुछ लिखा है।
उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम घोषित करने को लेकर घमासान मचा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के समर्थक उनके नाम को प्रोजेक्ट करने की मांग उठा रहे हैं। हरीश रावत भी अपने सोशल पेज पर लगातार मुख्यमंत्री पद पर किसी भी व्यक्ति का नाम घोषित करने की अपील कर रहे हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नाम का सुझाव दे चुके हैं, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय हाईकमान की ओर से किसी का नाम घोषित नहीं किया गया हैं। अब हरीश रावत ने फिर से मामले को हवा दे दी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में उनका नाम और चेहरा न लगाने पर व्यथा जताई। उन्होंने कह दिया कि यदि मंच या सभा में बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिलती है तो कोई बात नहीं वे अपना मोड़ा लेकर चलते हैं।
यह लिखा है हरीश रावत ने अपनी पोस्ट पर
मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने को लेकर संकोच कैसा? यदि मेरे सम्मान में यह संकोच है तो मैंने स्वयं अपनी तरफ से यह विनती कर ली है कि जिसे भी मुख्यमंत्री का रुचेहरा घोषित कर दिया जायेगा मैं, उसके पीछे खड़ा हूंगा। रुरणनीति के दृष्टिकोण से भी आवश्यक है कि हम रुभाजपा द्वारा राज्यों में जीत के लिये अपनाये जा रहे फार्मूले का कोई स्थानीय तोड़ निकालें। स्थानीय तोड़ यही हो सकता है कि भाजपा का चेहरा बनाम रुकांग्रेस का चेहरा, चुनाव में लोगों के सामने रखा जाय ताकि लोग स्थानीय सवालों के तुलनात्मक आधार पर निर्णय करें। मेरा मानना है कि ऐसा करने से चुनाव में हम अच्छा कर पाएंगे, फिर सामूहिकता की अचानक याद क्यों? जो व्यक्ति किसी भी निर्णय में, इतना बड़ा संगठनात्मक ढांचा है पार्टी का, उस रुढांचे में कुछ लोगों की संस्तुति करने के लिए भी मुझे एआईसीसी का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, उस समय सामूहिकता का पालन नहीं हुआ है और मैंने उस पर कभी आवाज नहीं उठाई है, पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं पा पाया, मैंने उस पर भी कभी कोई सवाल खड़ा नहीं किया! यहां तक की मुझे कभी-कभी मंचों पर स्थान मिलने को लेकर संदेह रहता है तो मैं, अपने साथ अपना मोड़ा लेकर के चलता हूं ताकि पार्टी के सामने कोई असमंजस न आये तो आज भी मैंने केवल असमंजस को हटाया है, तो ये दनादन क्यों?



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