नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया है। मंगलवार को 5 जजों की बेंच ने इस पर फैसला सुनाया। 3 जजों, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आरएफ नरीमन ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने तीन तलाक पर 6 महीने की रोक लगा दी। ये भी कहा कि सरकार इस पर कानून बनाए। कोर्ट को ये तय करना था कि तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है या नहीं, यह कानूनी रूप से जायज है या नहीं और तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं? इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वह तीन तलाक को जायज नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने माना था कि वह सभी काजियों को एडवायजरी जारी करेगा कि वे तीन तलाक पर न सिर्फ महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का हनन नहीं करता। चीफ जस्टिस खेहर ने कहा कि तीन तलाक पर सभी पार्टियां मिलकर फैसला लें। लेकिन मसले से राजनीति को दूर रखें। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने तीन तलाक पर अपना फैसला सुनाया। 3 जजों, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आरएफ नरीमन ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया।
वहीं चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर इसके पक्ष में थे। पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने सबसे पहले इस पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रक्रिया और भावनाओं से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। खेहर ने कहा कि छह महीने तक के लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर तत्काल रोक लगाती है। इस अवधि में देशभर में कहीं भी तीन तलाक मान्य नहीं होगा।
गौरतलब है कि पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 6 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद 18 मई को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बेंच में सभी धर्मों के जस्टिस शामिल हैं। इनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (ईसाई), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं।