मदन कौशिक की वफादारी पर अपनों के सवाल बेबुनियाद




नवीन चौहान.
विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के कुछ प्रत्याशियों को अंदेशा है कि वह हार रहे हैं, लेकिन मतगणना से पहले ही अपनी हार की ठीकरा वह प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर फोड़ रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने जानबूझ कर अपने कार्यकर्ताओं से दूसरी पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में मतदान कराया।
यहां आरोप लगाने वाले प्रत्याशी यह भूल गए कि इस चुनाव में मदन कौशिक की स्वयं की साख दांव पर है। बतौर प्रदेश अध्यक्ष यदि उनकी पार्टी प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन कर सत्ता पर फिर से काबिज नहीं होती तो उनका स्वयं का राजनीतिक कैरियर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में मदन कौशिक की पार्टी के प्रति वफादारी पर सवाल उठाना खुद अपने आप में एक सवाल है।
कहा ये भी जा रहा है कि जो प्रत्याशी मदन कौशिक को पार्टी का गद्दार बता रहा है वह खुद वर्ष 2002 के चुनाव में पार्टी से गद्दारी कर चुका है। तब उसने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हराने का काम किया था। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी करीब 800 वोट से हार गया था। वैसे भी पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक पर सवाल खड़ा करने वाले ये भूल गए कि वो यदि चुनाव जीते तो अपने दम पर नहीं मोदी लहर में जीत कर विधायक चुने गए। यदि ऐसा नहीं है तो फिर दो साल से लगातार विधायक चुने जा रहे इन महोदय को डर किस बात का है। यदि उन्होंने अपने कार्यकाल में जनता की सेवा की है और क्षेत्र में विकास कराए हैं तो फिर कोई ताकत उन्हें हरा नहीं सकती। मतदाता किसी के कहने से वोट नहीं करता। यदि ऐसा होता तो सत्ताधारी पार्टी कभी हार का सामना ही ना करती।
हरिद्वार की लक्सर सीट से भाजपा प्रत्याशी संजय गुप्ता ने जिस तरह से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर आरोप लगाए हैं उससे वह स्वयं भी संदेह के दायरे में आ गए हैं। जनता जानती है कि उनका लोकप्रिय नेता कौन है। यदि संजय गुप्ता ने क्षेत्र में जनता की सुनी और उनके कार्य कराएं हैं तो फिर क्यों उन्हें अपनी हार का डर सता रहा है। राजनीति के विशेषज्ञ भी मानते हैं किसी भी प्रार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं चाहेगा कि उसके नेतृत्व में होने वाले चुनाव में पार्टी की हार हो। ऐसे में मदन कौशिक की वफादारी पर सवाल उठाना गलत होगा। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि इन चुनावों से ही मदन कौशिक की अगली राजनीति का कैरियर शुरू होगा।
खैर आरोप प्रत्यारोप का दौर अभी चलता रहेगा, जनता ने किसे चुना यह फैसला 10 मार्च को हो जाएगा। तब तक पार्टी के अंदर चल रही उठापटक सामने आती रहेगी।



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