किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि में नई तकनीक का करना होगा विकास: Gaya Prasad




मेरठ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गया प्रसाद ने कहा कि शोध और प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय सराहनीय कार्य कर रहा ह। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि में नई तकनीक का विकास करना होगा।

पशु चिकित्सा महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रोफेसर गया प्रसाद का स्वागत कुलपति प्रोफेसर के0 के0 सिंह ने किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर के0 के0 सिंह ने कहा कि शिक्षा शोध और प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय सराहनीय कार्य कर रहा है। यहां के छात्र विभिन्न कंपीटिशनों में चयनित हो रहे हैं। साथ ही शोध का कार्य और उसकी गुणवत्ता सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिससे विश्वविद्यालय में शोध का स्तर बढ़ सके। विश्वविद्यालय द्वारा किसानों उपयोगी तकनीक को कृषि विज्ञान केदो के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है। महिला अध्ययन केंद्र के द्वारा महिलाओं का सशक्तिकरण करने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं जिसका सार्थक परिणाम आ रहा है। छात्रों के प्लेसमेंट की विशेष व्यवस्था की गई है जिससे विश्वविद्यालय में अधिक से अधिक कंपनियां छात्रों के प्लेसमेंट के लिए आने लगी हैं और कंपनियों के द्वारा छात्रों का चयन कर विगत एक वर्ष में काफी छात्रों को रोजगार मिल सका है उन्होंने कहा कि आगामी महीना में छात्रों के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए कार्य किए जाएंगे जिससे उनकी स्किल और अधिक बढ़ सके।

कार्यक्रम में शिक्षक को संबोधित करते हुए पूर्व कुलपति प्रोफेसर दया प्रसाद ने कहा कि विगत दो वर्षों से एग्रीकल्चर रिसर्च के क्षेत्र में सैचुरेशन आ गया है कोई नई तकनीकी ऐसी आ रही है जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके। इसी का परिणाम है कि सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में फंडिंग सपोर्ट काम हो पा रहा है। इसके लिए वैज्ञानिकों को प्रयास करने होंगे कि वह ऐसी तकनीक का विकास करें जिससे किसानों की आय बढ़ सके और उन्हें तकनीक के लिए सरकार अधिक से अधिक फंड मिल सके। उन्होंने कहा कि ऐसी स्मार्ट परियोजनाओं को तैयार करना होगा जिसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी एवं डिपार्मेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के द्वारा फंड मिल सके। प्रोफेसर गया प्रसाद ने कहा कि शिक्षक कार्यों को करने में बहुत से चैलेंज है। शिक्षा के कार्यों को इंटरएक्टिव बनाना होगा। इसके लिए अच्छी लैबों की व्यवस्था करनी होगी। हमें शोध के क्षेत्र में कोलैबोरेटिंग शोध के लिए लिकेज बढ़ाने होंगे तथा कोलाॅपरेटिव रिसर्च पर अधिक ध्यान देना होगा जिससे विश्वविद्यालय का अच्छा पब्लिकेशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो सके। हमारे वैज्ञानिकों को भारतीय फार्मिंग सिस्टम को ध्यान में रखकर शोध कार्य करने चाहिए जिससे किसानों की आय बढ़ सके। पूर्व कुलपति प्रोफेसर गया प्रसाद ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब से यह विश्वविद्यालय खुला है इसको केवल 75 लाख रुपए की कंटीन्जेंसीज ग्रांट मिलती है लेकिन यह पैसा केवल एक महीने में सुरक्षा बिजली तथा फॉर्म की व्यवस्था में ही खर्च हो जाता है बाकी माह का काम विश्वविद्यालय को अपने रिसोर्स से चलाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को कंटीन्जेंसीज के रूप में कृषि विश्वविद्यालय को अन्य विश्वविद्यालय की तरह अधिक पैसा आवंटित किया जाना चाहिए। जिससे विश्वविद्यालय में शिक्षा शोध और प्रसार का कार्य अच्छी तरह से संपन्न हो सके। जब तक विश्वविद्यालय के पास पैसा नहीं होगा तब तक शिक्षा शोध प्रसार के कार्यों को अपग्रेडेशन तथा मॉर्डनाइजेशन और मैकेनाइजेशन करने में दिक्कत होगी।

इस कार्यक्रम का संचालन कुल सचिव प्रोफेसर रामजी सिंह ने किया। इस अवसर पर निदेशक ट्रेंनिंग आफ प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेंगर, वित्त नियंत्रक लक्ष्मी मिश्रा, अधिष्ठाता जैव प्रौद्योगिकी प्रोफेसर रविंद्र कुमार, अधिष्ठाता फूड टेक्नोलॉजी डॉक्टर पुष्पेंद्र कुमार, अधिष्ठाता वेटरनरी प्रोफेसर राजीव सिंह, अधिष्ठाता कृषि प्रोफेसर एच एल सिंह, प्रोफेसर यू पी शाही निर्देशक प्रशासन, प्रोफेसर मनीष शुक्ला लाइब्रेरी इंचार्ज, प्रोफेसर रचना वर्मा, प्रोफेसर कमल खिलाड़ी, प्रोफेसर जयवीर सिंह, प्रोफेसर आर एन यादव, प्रोफेसर वीपी सिंह, प्रोफेसर डी वी सिंह, प्रोफेसर रश्मि चौधरी, प्रोफेसर पंकज कुमार एवं जनसंपर्क अधिकारी रितुल सिंह के अलावा विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष शिक्षक तथा कर्मचारी मौजूद रहे।



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