त्रिवेंद्र रावत के समर्थकों की आंखों में आंसू और दिल में आक्रोष, इस्तीफे की चेतावनी





नवीन चौहान
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के डोईवाला से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद उनके तमाम समर्थक बेहद आहत है। समर्थकों की आंखों में आंसूओं का सैलाब उमड़ रहा है। वही समर्थकों के दिल में आक्रोष भी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने समर्थकों के आक्रोष को शांत करने और भाजपा प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए समर्थक कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहे है। वही कार्यकर्ता भाजपा छोड़ने की जिदद पर अडिग है। फिलहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने समर्थकों को समझाने बुझाने का कार्य कर रहे है।
साल 2017 में प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूं तो पूरे प्रदेश में तमाम विकास कार्यो को अंजाम दिया। जीरो टॉलरेंस की मुहिम से सरकार की शुरूआत की और राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता से कार्य करने की नींव रखी। ​बेहद ही भावुक हृदय और शांत व्यक्तित्व के त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में अथक प्रयास किये। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लाखों महिलाओं को रोजगार में जोड़ने का कार्य किया। पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाने की उनकी दूरदर्शी सोच ने महिलाओं को मजबूती प्रदान की। त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी विधानसभा डोईवाला में ​सक्रिय रहे। क्षेत्र की जनता की समस्याओं का प्राथमिकता से निस्तारण करते रहे। कोविड काल में गरीबों को आर्थिक ​सहायता पहुंचाने और युवाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करते दिखाई दिए।
मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डोईवाला विधानसभा में अपनी सक्रियता बढ़ा दी। कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर क्षेत्र में विकास कार्यो को अंजाम दिया। लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया से पूर्व त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव नही लड़ने का ऐलान कर सभी कार्यकर्ताओं को चकित कर दिया।
त्रिवेंद्र ने संगठन की सेवा करने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने युवाओं को राजनीति में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करने का निर्णय किया। जिसके बाद डोईवाला विधानसभा सीट भी युवाओं के लिए खाली हो गई। लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की टीम और उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े तमाम लोग व भाजपा पार्टी के तमाम पदाधिकारी, कार्यकर्ता बेहद आहत हो गए। उनके चुनाव नही लड़ने के निर्णय से कार्यकर्ताओं में रोष दिखाई दिया। ​कार्यकर्ताओं ने भाजपा छोड़ने का मन बनाया तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनको समझाने बुझाने का प्रयास किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी भाजपा कार्यकर्ताओं से एकजुट होेकर भाजपा प्रत्याशी को ​जीत दर्ज कराने की अपील की। त्रिवेंद्र की इस ​दरियादिली पर कार्यकर्ताओं की आंखे छलक आई। कार्यकर्ता त्रिवेंद्र जिंदाबाद के नारे लगाते दिखाई दिए।
उत्तराखंड की राजनीति में त्रिवेंद्र सिंह रावत एक बड़ा नाम बन चुके है। उत्तराखंड में भाजपा को सत्ता दिलाने का माददा रखते है। लेकिन त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री पद से बदलने की भूल भाजपा हाईकमान को भारी पड़ती दिखाई पड़ रही है।

त्रिवेंद्र के समर्थकों ने घर पर डेरा डाला
त्रिवेंद्र के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद से ही उनके समर्थकों ने घर पर डेरा ​डाल रखा है। समर्थक उनको चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे है। जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने समर्थकों को पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डलवाने के लिए प्रेरित कर रहे है।



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