नवीन चौहान
हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आदर्श आचार संहिता की पूरी तरह से धज्जियां उड़ गई। वोटरों को लुभाने के लिए जमकर शराब दी गई। इसी के साथ चाय, पकोड़ी और जलेबियों की भी खूब दावत हुई। जिला प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।
हरिद्वार जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज है। आगामी 26 सितंबर को मतदान होना है। चुनाव प्रचार का शोरगुल भी थम गया है। प्रत्याशी घर—घर जाकर वोटरों से संपर्क कर रहे है। वोटरों की इच्छाओं को पूरा किया जा रहा है। जिला पंचायत सदस्य और प्रधान पद के प्रत्याशियों में मुकाबला कड़ा है। प्रधान पद में मुकाबला कांटे का होने के चलते मतदाताओं को रिझाने के पूरे प्रयास किए जा रहे है। इसी के चलते प्रत्याशी भी दिल खोलकर खर्च कर रहे है। मतदाताओं की सभी इच्छाओं को पूरा किया जा रहा है। कॉलोनियों में वोटरों के ठेकेदारों की मौज है। वोटरों की गिनती के हिसाब से नकदी की गिनती की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ी बात कि ग्राम प्रधान की दावत उड़ाने वाले वोटर क्षेत्र में विकास की उम्मीद कैसे लगा सकते है। प्रधान के चुनाव में लाखों का खर्च करने के बाद विकास की बात करना ही बेमानी है। जातीय समीकरण पूरी तरह से गडबड़ा चुके है। एक ही जाति के तीन—तीन प्रत्याशी खेल बिगाड़ रहे है।