दलित समाज किसी के डराने से नहीं होगा भयभीत-भारती




हरिद्वार। संत शिरोमणि गुरू रविदास मंदिर मुक्ति आंदोलन समिति के द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसका सम्बोधन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल द्वारा किया गया और उन्होंने कहा कि ऋषिकुल मैदान में हुए के महासम्मेलन का उद्देश्य समाज को नई दिशा देकर सामाजिक परिवर्तन का था। लेकिन कुछ राजनेताओं को ये नागवार गुजरा और हमारे हरकी पौड़ी स्थित रविदास जी मंदिर को भी वो अयोध्या के राम मंदिर की तरह देखने लगे जिसे तो राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं जिससे ये लोग राजनीति की रोटियां सेंकते रहे और सेंकने भी लगे हैं। लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा और ना ही बर्दाश्त करूंगा और वो लोग कान खोलकर सुन भी ले मैं और मेरा समाज सिर्फ संत रविदास जी जो हमारे भगवान है और बाबा साहब डाॅ. भीमराव अम्बडेकर जिनके संविधान से भारत चलता है के सम्मान में मंदिर का जीर्णोद्धार कराना चाहते हैं ना कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाये रखना। रही बात मेरे सहारनपुर के रहने की यहां रहने की तो समझ ले की हरिद्वार भी सहारनपुर का ही हिस्सा था और जो नेता इस बात पर टिप्पणी कर रहे हैं। वो पहले अपने गिरेबान में झांक ले कि वो कहां से हैं क्या है और इन्होंने दलित समाज जो हरिद्वार में रहते हैं। उनके लिये क्या किया है पिफर मेरे बारे में कहे और रही बात धमकी देकर डराने की मंे किसी से भी डरने वाला नहीं हूं जीवन और मृत्यु तो जीवन का कड़ा सच है और मैं उत्तराखण्ड में ही रह रहा हूं और रहूंगा और अपने समाज के अधिकारों की लड़ाई को लड़ता को लड़ता रहूंगा और ये लड़ाई केवल हरिद्वार की ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखण्ड एवं देश के रविदासिया समाज के सम्मान एवं स्वाभिमान की लड़ाई है जो कि 16 अक्टूबर के महासम्मेलन से भी प्रतीत होता है और केवल सहारनपुर या हरिद्वार ही नहीं बल्कि पूरे देश के रविदासिया समाज का हर घर मेरा घर है। साथ ही अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन (रजि.) भारत के उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष ई. इन्द्र सिंह ने कहा कि 16 अक्टूबर को हुये सामाजिक परिवर्तन महासम्मेलन में उमड़े जन सैलाब एवं समाज को एकजुट होते देखकर विभिन्न राजनैतिक दलों में खलबली मच गयी है। क्यूंकि कोई भी राजनीतिक दल नहीं चाहता कि हमारा रविदासिया समाज संगठित हो परन्तु हम सभी ने संकल्प लिया है कि मरते दम तक अपने समाज को संगठित कर जागरूक करेंगें। प्रेस वार्ता में भूप सिंह, ब्रिजेश दास, महात्मा ब्रह्मदास, किरण खेमवाल, राजीव भारती, ललित कुमार, सुरेन्द्र नौटियाल, शकील अहमद आदि उपस्थित रहे।


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