जब डीएम दीपक रावत ग्राहक बनकर गये तो फिर क्या हुआ, जानिये पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ग्राहक बनकर पहुंचे तो जिला पंचायत की दुकानों में अनियमिताओं की धांधली से परदा उठा था। डीएम ने एजेंट को फोन करके दुकान की कीमत पूछी तो उसने 15 लाख बताई थी। उन्होंने दुकान के आबंटन में धांधली और अनियमिताओं की जांच शुरू करा दी। जिसके बाद शासन ने इस प्रकरण का संज्ञान लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी को निलंबित कर उनके अधिकार सीज करने के आदेश जारी कर दिये। हालांकि अधिकार सीज करने से पूर्व शासन की ओर से सविता चौधरी को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया था।
हरिद्वार जिला पंचायत के पूर्व के अध्यक्षों का कार्यकाल भी विवादों में रहा है। पूर्व के कई अध्यक्षों को अनियमिताओ के चलते अपने अधिकारों से वंचित होना पड़ा है। वर्तमान की जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी का कार्यकाल भी विवादों में घिर गया है। बताते चले कि पूर्व में जिला पंचायत के सदस्य अमरोज, नीलू, विरेंद्र सिंह, सलमी ने जिलाधिकारी दीपक रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। सदस्यों ने अपनी शिकायत में कहा कि भगवानपुर स्थित 18 दुकानों की नीलामी में चार करोड़ और ज्वालापुर तहसील के सामने 26 दुकानों की नीलामी में आठ करोड़ रूपये की अनियमिता बरती गई है। इस शिकायत मिलने के बाद डीएम दीपक रावत ग्राहक बनकर दुकानों पर पहुंचे। वहां दुकानों के बाहर लगे बोर्ड से दुकानों की बिक्री करने वाले डीलर को फोन किया। बिक्रेता ने दुकान की कीमत करीब 15 लाख बताई और डीएम से मोलभाव करने लगा। जिलाधिकारी की जांच में आबंटन में अनियमिताओं की पुष्टि हो गई।
विधिक परामर्श के बाद शासन का निर्णय
जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी ने शासन की कार्रवाई के खिलाफ 24 मई को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर की गई थी। याचिका पर पांच सितंबर को सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को आदेश दिया कि कोई भी कार्रवाई करने से पूर्व आरोपी को सुनवाई का अवसर दिया जाये। हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुये हरिद्वार डीएम ने जिला पंचायत अध्यक्ष को 18 अक्टूबर को कारण बताओं नोटिस जारी किया। लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। जिसके बाद डीएम ने तीन दिनों का अतिरिक्त समय जवाब देने के लिये दिया गया। इन तीन दिनों में भी सविता चौधरी का कोई जवाब नहीं आया। जिसके बाद डीएम दीपक रावत ने पूर्व में 18 जुलाई को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट को को ही अंतिम आख्या मानते हुये शासन को जवाब दाखिल कर दिया। इस पूरे प्रकरण पर राज्य सरकार ने न्याय विभाग से विधिक परामर्श लिया गया। न्याय विभाग से विधिक परामर्श मिलने के बाद शासन ने जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी को अंतिम जांच पूरी होने तक निलंबित करते हुये उनके कार्यो व दायित्वों पर रोक लगा दी।

 



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