शांतिकुंज में ज्ञानदीक्षा लेकर बढ़ाया राष्ट्र सेवा की ओर पहला कदम




नवीन चौहान
हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज के 37वें ज्ञानदीक्षा समारोह में नवप्रवेशार्थी समाज और राष्ट्र सेवा की ओर अपना पहला कदम बढ़ाते हुए वैदिक सूत्रों में बंधे। विवि के मृत्युंजय सभागार में कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में देशभर के नवप्रवेशी विद्यार्थी आनलाइन जुड़े।
अपने वर्चुअल उद्बोधन मे ज्ञानदीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि ज्ञानदीक्षा ज्ञानार्जन का महापर्व है। भारतीय संस्कृति ही देवसंस्कृति है। देवसंस्कृति से ही देवों का गढ़ने का क्रम चल रहा है। अपने आशीवर्चन में कहा कि नालंदा, तक्षशीला विश्वविद्यालय का आधुनिक स्वरूप में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। यह विवि सच्चे अर्थों में युवापीढ़ी को गढ़ने की टकसाल है। युवाओं में नैतिकता, सात्विकता जैसे गुणों का विकसित कर उन्हें महामानव बनाने का कार्य चल रहा है। इससे मैं अभिभूत हूं।


समारोह की अध्यक्षता करते हुए देसंविवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि ज्ञानदीक्षा संस्कार विद्यार्थियों को नवजीवन प्रदान करने वाला है। कुलाधिपति ने कहा कि सद्ज्ञान से आंतरिक चेतना का विकास होता है। शिक्षक व छात्र बीच ऐसा सामंजस्य होना चाहिए जिससे ज्ञान का आदान-प्रदान का क्रम सदैव बना रहे। इससे एक तरफ विद्यार्थियों में पात्रता का विकास होता है, तो वहीं दूसरी तरफ वे धर्म के अनुसार आचरण करने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने कहा कि चेतनापरक विद्या की सदैव उपासना करनी चाहिए। प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने ज्ञानदीक्षा की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि आज व्यक्ति की नहीं, व्यक्तित्व की जरूरत है। कुलपति शरद पारधी ने स्वागत भाषण दिया।


इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ कुलाधिपति डॉ. पंड्या ने दीप प्रज्वलन कर किया। नवप्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं को उदय किशोर मिश्र ने ज्ञानदीक्षा का वैदिक कर्मकांड संपन्न कराया। कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने उन्हें ज्ञानदीक्षा के संकल्प दिलाया। इस मौके पर विवि की ई न्यूज- रेनासा का विमोचन किया। विवि में सर्टीफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक व परास्नातक के 37 विभिन्न कोर्स के लिए भारत के उप्र, मप्र, राजस्थान, बिहार सहित विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी शामिल हैं। ज्ञान दीक्षा समारोह में विवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सभी नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को दीक्षित किया। मंच संचालन गोपाल शर्मा ने किया। इस अवसर पर व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र, देसंविवि के कुलसचिव बलदाऊ देवांगन, प्रो. ईश्वर भारद्वाज, देसंविवि के आचार्यगण, शांतिकुंज के अनेक कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।

 



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