चिटठी बम फोड़ने में माहिर पूर्व सीएम हरदा ने आपदा पर की सियासत, सरकार की कार्यशैली पर सवाल





गगन नामदेव

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है। चिटठी बम फोडने में उनको महारथ हासिल है। राज्य सरकार के कार्यशैली पर अंगुलियां उठाने का उनका अंदाज भी निराला है। ऐसा ही उन्होंने जोशीमठ आपदा के बाद किया। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार चार दिनों बाद भी टनल के अंतिम छोर तक नही पहुंच पाई। टनल में आक्सीजन पंप तक नही दे पाए। जिससे टनल में फंसे लोगों के जीवित बचने की संभावना बढ़ जाए।
सोशल मीडिया के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी, इस आपदा व रेस्क्यू ऑपरेशन में आप समस्त राज्य के नेता हैं, क्या आपके मन में यह सवाल नहीं उठ रहा है कि सारी आधुनिकतम तकनीक और केंद्रीय मदद उपलब्ध होने के बावजूद भी आज 4 दिन बाद भी हम टनल के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाये हैं। हम टनल में ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाए हैं और दूसरे ऐसे उपाय नहीं कर पाये हैं जिससे टनल में फंसे हुये लोगों के जीवित बचने की संभावना बढ़ जाय। प्रभावित परिवारों व क्षेत्रों तक खाद्य सामग्री आदि पहुंचाने के लिए क्या किसी तकनीक की आवश्यकता है? जो दुखी परिवार अपने प्रियजनों को खोजने के लिए आ रहे हैं, उनके आंसू पोछने का दायित्व भी तो हमारा ही है न, कोई सूचना तंत्र वहां विद्यमान नहीं है, आप शिलापट दर शिलापट का लोकार्पण कर रहे हैं, आपदा की इस घड़ी में हम बचाव कैसे कर रहे हैं, कैसा समन्वय रख रहे हैं, सूचना तंत्र हमारा कितना प्रभावी है, लोगों तक सहायता पहुंचाने में हम कितने तत्पर हैं, इसी से तो हमारी उत्तराखंड की पहचान मजबूत होगी। मैं, इस तथ्य के बावजूद कि हमने ग्लेशियर के स्वभाव को समझने में चूक की। मैं, इस आपदा के लिए किसी को दोष देने के बजाय आगे की तरफ देखना चाहूंगा और हम कोई गहरी सीख ले सकें यह हम सबका सामूहिक कर्तव्य है। मुख्यमंत्री के नाते इस दिशा में भी आपको ही पहल करनी होगी। टनल में कार्यरत उपकरणों को लेकर अपने मन की आशंका मैंने तपोवन से ही मुख्य सचिव को बता दी थी। कुल मिलाकर हरदा ने अपने मन की बात सियासी अंदाज में करते हुए राज्य सरकार के आपदा में किए जाने वाले कार्यो पर सवालिया निशान लगा दिया। जबकि हरदा ने अपने प्रशासन और पुलिस के अदम्य साहस की सराहना करने से चूक गए। जो विपरीत परिस्थितियों में जान जोखिम में डालकर लोगों को सुरक्षित बचाने और मृतको के शवों को निकालने का प्रयास कर रहे है।



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