आनंद गोस्वामी, हरिद्वार। खनन माफियाओं की घिनौनी करतूत के चलते दर्जनों परिवार दहशत के साये में जीने को विवश है। अपने परिवार की सुरक्षा करने के लिये कर्ज लेकर घरों की नींव में भराव करने का कार्य कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों को सरकारी विभागों की ओर से कोई सकारात्मक जबाव नहीं मिल पा रहा है। पीड़ित परिवार की अंतिम उम्मीद की किरण जिलाधिकारी दीपक रावत पर आकर ठहर गई है। जल्द ही पीड़ित अपने घरों की सुरक्षा को लेकर डीएम से मिलकर हकीकत बयां करेंगे। पूरी घटना उत्तरी हरिद्वार के खड़खड़ी सूखी नदी से जुड़ी है।
कुछ माह पूर्व प्रशासन की ओर से सूखी नदी के सफाई का ठेका दिया गया। नदी की सफाई करने की आड़ में खनन माफिया ने जेसीबी लगाकर पूरी नदी खोद डाली। नदी से मानकों से परे जाकर कई घन मीटर खनन सामग्री निकालकर नदी को गहरा कर दिया। जेसीबी लगाकर नदी की सफाई करने के नाम पर बेतरतीब खनन की शिकायत क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से की। प्रशासन की टीम जब तक कार्रवाई करती माफिया अपना काम पूरा कर चुके थे। जेसीबी लगाकर नदी को खोदने का परिणाम ये निकला की बरसात आते ही नदी किनारे बने दर्जनों मकान असुरक्षित हो गये। मकानों की नींव से मिट्टी बह गई। मकानों के गिरने की संभावना बढ़ गई। पीड़ित परिवारों ने भारी बारिश में घरो से बाहर निकल कर रात गुजारी।
इसके बाद पीड़ित परिवार बारिश थमने के बाद पत्थरों से भराव करने के लिये लोहे का जाल खोजने लगे। पीड़ित परिवारों ने अपने मकानों को सुरक्षित करने के लिए सिंचाई विभाग, पीडब्लूडी से मदद की गुहार लगाई। विभागों ने इन परिवारोें को टालते हुए आपदा प्रबंधन का रास्ता दिखला दिया। हल न निकलते देख आखिरकार पीड़ितों ने कर्ज लेकर अपने घरों की नींव में लोहे का जाल लगाकर पत्थरों का भराव कराया। माफियाओं के इस कृत्य और विभाग की उदासीनता से पीड़ित परिवारों और क्षेत्रवासियों में आक्रोष है।