सिद्धू ने जिस पंड़ित पर किया भरोसा उसने ही दिया धोखा




हरिद्वार। पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान है। टीवी के हास्य कार्यक्रम और पंजाब के राजनैतिक क्षेत्र में उनकी विशेष पहचान है। इसी पहचान को बरकरार रखने और जीवन में और अधिक ऊंचाईयों पर पहुंचने के लिये सिद्धू ने धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम को हरिद्वार में संपन्न कराने का निर्णय किया। लेकिन अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले जिस पंड़ित पर भरोसा किया उसी ने सिद्धू की भावनाओं को ठेस पहुंचा दी। मजबूर होकर सिद्धू को अनुष्ठान बंद कराने का फैसला करना पड़ा। इस बात का खुलासा खुद पीड़ित पंड़ितों ने किया है।
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब की राजनीति में पूरी दखल है। वह पंजाब में बड़ा जनाधार रखने वाले नेता माने जाते है। इसी के साथ टीवी पर आने वाले विभिन्न हास्य कार्यक्रमों में भी वह जज की भूमिका निभाकर जनता का मनोरंजन करते है। सार्वजनिक जीवन में इतनी ऊंचाईयों पर पहुंचने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धूू बेहर साधारण प्रवृत्ति के इंसान है। वह हिंदू ब्राह्मणों को मान्यता देते है। इसी के चलते सिद्धू ने कनखल के एक पंड़ित धनन्जय मिश्रा को धार्मिक अनुष्ठान कराने की जिम्मेदारी सौंप दी। लेकिन धनन्जय मिश्रा ने अनुष्ठान कराने मे विधि विधान का पूरा पालन नहीं किया। अनुष्ठान करने वाले ब्राह्मणों को पूजा सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई। बकौल पीड़ित ब्राह्मणों ने बताया कि अनुष्ठान करने के दौरान संकल्प कराया गया था। जिसमें कई विधियों ने अनुष्ठान किया जाना था। लेकिन पूजा सामग्री नहीं मिलने और भगवान के वस्त्रों को नहीं दिया गया। जिसके चलते अनुष्ठान विधि विधान से नहीं पूरा हो पाया। इसी बीच सिद्धू के पीआरओ द्वारा अचानक हरिद्वार आकर ब्राह्मणों की संख्या कम पाये जाने पर बीच में ही अनुष्ठान को बंद करना पड़ा। ऐसी स्थिति में अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले ब्राह्मणों की दक्षिणा नहीं मिलने के बाद पूरा प्रकरण पुलिस के पास पहुंच गया है। पीड़ित ब्राह्मणों ने धनन्जय पर दक्षिणा नहीं देने का आरोप लगाते हुये तहरीर दी है।
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कनखल के पांच मंदिरों में हुआ अनुष्ठान
हरिद्वार। करीब एक साल तक चलने वाला पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का अनुष्ठान कनखल के बाबा लाल मंदिर,सतीघाट, आद्य शक्ति महाकाली, शीतला माता मंदिर सहित पांच स्थानों पर किया गया था। एक मंदिर में करीब पांच पंड़ित इस अनुष्ठान को विधि विधान से संपन्न करा रहे थे। लेकिन धनन्जय झा कई बार पंड़ितों की संख्या को कम कर देता था। इस बात का खुलासा तब हुआ जब सिद्धू के पीआरओ ने हरिद्वार के मंदिरों में आकर अनुष्ठान का निरीक्षण किया। पता चला कि सिद्धू जी से ज्यादा पंड़ितों की संख्या बताकर रकम ली जा रही थी। जबकि अनुष्ठान में कम पंड़ितों से पूजा संपन्न कराई जा रही थी।
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