जोगेंद्र मावी
कड़ाके की ठंड में कांग्रेस पार्टी के पार्षद कैलाश भट्ट ने हरिद्वार की राजनीति में गरमाहट पैदा की, उसे तो कांग्रेस में वापिस कराकर मामले को ठंडा कर दिया। लेकिन अभी कई पार्षद और नेता भाजपा में जाने के लिए रास्ता तैयार करते हुए भविष्य तलाशने के लिए भूमिका तैयार कर रहे हैं।
कांग्रेस और भाजपा नेताओं में मिशन—2022 फतह करने के लिए अपनी जमीन तैयार करने में लगे हुए हैं। दोनों ही पार्टियों का प्रयास है कि पार्टियों के नेता उनकी पार्टियों में शामिल होकर काम करना शुरू करें। हरिद्वार में कांग्रेस की मेयर अनीता शर्मा के सहारे पार्टी को मजबूत करने का मिशन भी तैयार किया गया, लेकिन दो साल के कार्यकाल में उनके साथ दूसरी पार्टी का एक भी पार्षद जुड़ा नहीं, बल्कि तीन पार्षद भाजपा के खेमे में चले गए। जिनमें सचिन अग्रवाल, आशा सारस्वत और विकास कुमार ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक में आस्था जताते हुए भाजपा का दामन थामन लिया। कांग्रेस के पार्षद कैलाश भट्ट ने चार दिन पहले मदन कौशिक के नेतृत्व में भाजपा ज्वाइन कर ली, लेकिन यह झटका पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी को बताया गया। हालांकि 10 जनवरी को सतपाल ब्रह्मचारी कैलाश भट्ट की उनके परिवार के साथ वापसी कराने में कामयाब हो गए हैं। लेकिन कांग्रेस के कई नेता और पार्षद भाजपा में जाने की जुगत लगा रहे हैं। सूत्रों की माने तो पार्षदों की संख्या 4 या इससे अधिक भी हो सकती है। इनमें दो पार्षद मुस्लिम समाज के बताए जा रहे हैं।
गुट बाजी हावी
कांग्रेस में सबसे ज्यादा गुटबाजी हावी होती जा रही है। पार्टी में सभी बड़े नेताओं के अपने गुट हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत का अलग ही गुट है। गुटों में बटी कांग्रेस पार्टी के नेताओं के पास जनाधार बनाने के लिए कोई नीति नहीं है।
कैलाश भट्ट की तो हो गई वापसी, लेकिन गुटबाजी के साथ इन्हें कैसे रोकेंगे, पढ़िए खबर
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