एसडीएम पूरन सिंह राणा के आदेश पर ऋषिकुल के नाम हुई जमीन, तत्कालीन तहसीलदार और एसडीएम ने कर दिया था दिल्ली निवासी के नाम




नवीन चौहान.
हरिद्वार में ऋषिकुल की जमीन को गलत तरीके से दिल्ली निवासी व्यक्तिों के नाम किये जाने के मामले में एसडीएम पूरन सिंह राणा ने सुनवाई के बाद इस जमीन को वापस ऋषिकुल के नाम दर्ज कराने के आदेश कर दिये। इस मामले में न्यायालय सहायक कलैक्टर प्रथम श्रेणी/उपजिलाधिकारी की कोर्ट में वाद चल रहा था।

बताया जा रहा है कि इस जमीन पर 1907 से ऋषिकुल का कब्जा था, ऋषिकुल को यह जमीन दान दी गई थी। लेकिन खसरा संख्या 27/1 व 27/2 की इस जमीन को मैसर्स देहली लैण्ड एण्ड फाईनेेंस लिमिटेड न्यू देहली प्रबंधक रामकिशन पुत्र बनारसी दास निवासी दिल्ली एवं ज्ञानीराम पुत्र मूंगाराम द्वारा विरासत दर्ज कर दी गई थी।

1952 का बैनामा दिखाकर नाम करायी अपने नाम
जानकारी के अनुसार रामकिशन नाम के व्यक्ति ने 1952 का एक बैनामा दिखाकर उसे तहसीलदार कोर्ट से वर्ष 2015 में अपने नाम म्यूटिशन करा लिया था। जिसके बाद इस आदेश के खिलाफ वाद दायर किया गया और तत्कालीन तहसीलदार द्वारा दिये गए आदेश को निरस्त कर दिया गया। इस मामले में वर्ष 2016 में तत्कालीन एसडीएम ने दिल्ली निवासी व्यक्ति के नाम ही इस जमीन को दर्ज कर दिया। जिसके बाद इसका वाद न्यायालय सहायक कलैक्टर प्रथम श्रेणी की कोर्ट में दायर किया गया।

एक एक बिंदु की मौके पर जांच
यह पूरा मामला जब एसडीएम पूरन सिंह राणा के समक्ष उनकी कोर्ट में आया तो उन्होंने इस पूरे मामले की जांच स्वयं की। मौके पर जाकर वस्तु स्थिति देखी गई। एक एक बिंदु की गंभीरता से जांच की गई। जांच में यह भी सामने आया कि जो बैनामा दिखाया गया था उसमें कहीं भी खसरा नंबर दर्ज नहीं था। मौके पर वर्ष 1907 से ही ऋषिकुल का कब्जा भी पाया गया।

प्लॉट की नींव की भी जांच हुई
बताया जा रहा है कि जब एसडीएम पूरन सिंह राणा ने मौके पर जाकर इस प्लॉट की जांच की तो उन्होंने उस पर हो रही नींव की भी जांच की। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ स्थानों पर मेल नहीं खा रही थी। मौके पर ऋषिकुल का ही कब्जा पाया गया। क्योंकि मामला सरकारी संस्था से भी जुड़ा था, इसलिए पूरे मामले की एसडीएम पूरन सिंह राणा ने गंभीरता के साथ जांच की। उन्होंने निष्पक्ष जांच करते हुए पाया कि जिस जमीन को लेकर विवाद है वह ऋषिकुल की ही है।

ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा
इस पूरे मामले में एसडीएम पूरन सिंह राणा ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए इस पूरी जमीन का म्यूटेशन जो कि दिल्ली निवासी रामकिशन आदि के नाम था उसे निरस्त कर दिया गया और पूरी जमीन ऋषिकुल के नाम संक्रमणीय भूमिधर दान स्वरूप दर्ज करने के आदेश कर दिये गए।

करोड़ों की है ये जमीन
जिस जमीन को लेकर एसडीएम ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया वह विशाल मेगा मार्ट के पीछे स्थित है। यह इलाका अब आवास विकास की परिधि में भी है। बताया जा रहा है कि जमीन आठ हजार वर्ग मीटर से भी अधिक है। इस जमीन की बाजारू कीमत करोड़ों रूपये है। ऐसे में इस जमीन को अपने नाम कराने में और कौन कौन लोग शामिल थे इसकी की भी यदि जांच होती है तो पूरी साजिश का खुलासा हो सकता है।



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