प्रकाश की मौत से त्रिवेंद्र सरकार संकट में, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार।
जीएसटी और नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराकर मौत को गले लगाने वाले प्रकाश पांडेय ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुये उत्तराखंड सरकार को संकट में डाल दिया है। आत्महत्या करना किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता हैं। आर्थिक संकटों का सामना करने वाला परिवार आत्महत्या करने लगेगा तो देश में करोड़ों लोग प्रकाश पांडेय प्रकरण को नजीर बना लेंगे। विपक्ष मौत के पीछे सियासत करेगा और सरकार को घेरते हुये पीड़ित परिवार के लिये नौकरी और आर्थिक सहायता की मांग उठेगी। ऐसे में सवाल उठता है मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले देश के लोगों परिवार दिहाड़ी मजदूरी छोड़कर सिस्टम पर ही सवाल खड़ा करते हुये प्राणों की आहूति देना शुरू कर देंगे। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा और विपक्ष को भी राजनीति से उपर उठकर देश के करोड़ों लोगों के हितों को ध्यान में रखना होगा। अन्यथा वो दिन दूर नहीं कि आर्थिक संकट से जूझने वाला परिवार मौत का दामन थामने लगेंगा।
हल्द्वानी के प्रकाश पांडेय ने किन परिस्थितियों में मौत को गले लगाया ये बात सार्वजनिक होना बहुत जरूरी है। क्या वास्तव में प्रकाश पांडेय की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी? घर पर दो वक्त की रोटी का भी संकट था। उसके पास मौत के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। वह कोई दूसरा रोजगार नहीं कर सकता था? प्रकाश पांडेय की मौत से सरकार,विपक्ष  और जनता सभी को दुख है और शोकाकुल परिवार से सहानुभूति भी है। इन बातों को करने से पहले ये बात जानना बहुत जरूरी है कि जीएसटी और नोटबंदी देश की सरकार का भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में उठाया गया कदम है। इसके इतर एक बात जानना ये भी आवश्यक है कि देश में लाखों लोग रोजाना देहाड़ी मजदूरी करने अपने लिये दो जून की रोटी जुटाते है। इसके अलावा लाखों लोग रेहड़ी पटरी पर फड़ लगाकर अपने बच्चों का पालन पोषण करते है। ये सभी लोग साहसी है मेहनती है और इनके जज्बे को सलाम करना चाहिये कि ये सरकार के मोहताज नहीं है। ये भारत के वो लोग है जिनसे भारत के लोगों के परिश्रमी होने की पहचान विश्व में की जाती है। अब कल्पना करो कि ये लोग दैनिक रोजगार करने वाले लोग कामकाज छोड़कर एक दिन की हड़ताल कर दे तो देश के हालात कैसे होंगे। लोग मजदूरी करना बंद कर देंगे तो आलीशान कोठियों का काम रूक जायेगा। देश की सभी व्यवस्थायें चौपट हो जायेगी। ये लोग आत्महत्या करने लगेंगे तो सरकार किस तरह सबको सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता देंगी। कई गंभीर संकट सरकार के सामने आ जायेंगे। फिर सरकार और विपक्ष इन हालात में क्या करेंगा? क्या तब भी विपक्ष राजनीति करेंगा? ये सोचना सरकार को है और विपक्ष को है। देश को किस दिशा और दशा में आगे बढ़ाना है। प्रकाश पांडेय ने सिस्टम पर सवाल उठाकर प्राणों की आहूति दी है तो सरकार को भी एक बार फिर नये सिरे से तमाम लोगों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा।



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