रियल स्टेट के कारोबार में पैर पसार रहे हैं संत रहते हैं विवादों में




हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के काठारी महंत मोहन दास महाराज को कोठारी पद चार्ज कोठारी महंत राजेन्द्रदास महाराज के निधन के बाद मिला। बीमारी के कारण कोठारी महंत राजेन्द्र दास महाराज का निधन हो गया था। उसके बाद से कोठारी महंत का कार्य मोहनदास महाराज संभाल रहे थे।
चार वर्षों के अपने कार्यकाल में ही महंत मोहन दास ने संत समाज में अपनी अच्छी पैठ बना ली थी। सूत्र बताते हैं कि इसी पैठ के चलते महंत मोहन दास महाराज रियल स्टेट के कारोबार में अप्रत्यक्ष रूप से कूद गए। कनखल के एक रियल स्टेट के कारोबारी को आगे कर महंत मोहनदास महाराज ने करोड़ों रुपया कमाया। बताया जाता है कि कई अर्पाटमेंट में महंत मोहनदास का पैसा लगा हुआ था। और जिस कारोबारी को आगे कर इन्होंने कार्य शुरू किया वह भी देखते ही देखते करोड़ पति बन गया। आज उनकी समाज में नेताजी के नाम से खासी पूछ है। इतना ही नहीं कारोबार में मोटा मुनाफा होने के कारण महंत मोहनदास महाराज ने दक्षमंदिर के समीप अखाड़े की करोड़ों की भूति जिस पर कभी कन्या जूनियर हाईस्कूल होता था आज वहां बहुमंजिला इमारत तैयार हो गई। यह सब धन बल का ही कमाल था कि बहुमंजिला इमारत गंगा से दो सौ मीटर दायरे में आने के बाद भी बिना अड़चन तैयार कर ली गई। यह केवल महंत मोहन दास की बात नहीं अखाड़ा भी बहुमंजिला इमारत बनाकर बेचने में पीछे नहीं रहा। सबसे पहले इसकी शुरूआत करीब चार दशक पूर्व इसी अखाड़े ने की थी। उसके बाद बड़े पैमाने पर अखाड़े की भूमि पर बहुमंजिला इमारत बनाकर बेचने का काम श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन ने किया। उसके बाद निर्वाणी, निरंजनी, जूना सभी अखाड़े इस काम में लग गए। बिना धन खर्च किए करोड़ों की कमाई ने संतों को पूरी तरह से कारोबार में उतार दिया। आज कोई भी अखाड़ा ऐसा शेष नहीं है। जिसकी भूमि पर बहुमंजिला इमारतें तैयार न हों। यही कारण है कि अखाड़े की सम्पत्ति के कारण स्वंय को त्यागी कहने वाले धन्ना सेठ बन रहे कथित संतों के साथ ऐसे हादसे होते रहे हैं। अभी तक जितनी भी संतों की हत्याएं तीर्थनगरी में हुई हैं उनके पीछे कहीं न कहीं सम्पत्ति विवाद अवश्य रहा है। अभी तो महंत मोहन दास के चलती ट्रेन से अचानक गायब होने की बात सामने आ रही है। पूर्व की घटनाओं पर यदि गौर करंें तो उनके अपहरण की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।



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