व्यापारियों के अस्पतालों में डॉक्टर बन गए नौकर, पैथी के नाम पर मचा रहे लूट: प्रो सुनील जोशी




नवीन चौहान
आयुष पैथी के विशेषज्ञ एलोपैथ के डॉक्टरों के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। आयुष विशेषज्ञों ने एलोपैथ के डॉक्टरों को व्यापारियों का नौकर करार देते हुए लूट की पैथी बताया है। यहां तक कह दिया कि एलोपैथ में दिनचर्या या खानपान का शेड्यूल बिगड़ने पर होने वाली बीमारियों का इलाज तक नहीं है। वे जीवनभर दवा खिलाते रहते हैं, जबकि आयुर्वेद पद्धति से हर असंभव बीमारी का इलाज संभव हुआ हैं। हाल में कोरोना की महामारी में इनकी असलियत खुल गई।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुनील जोशी ने न्यूज127 से विशेष बातचीत में आयुर्वेद और एलोपैथी के अंतर को स्पष्ट किया। उन्होंने एलोपैथी को लूट का इलाज करार दिया। प्रो जोशी ने कहा कि सर्जरी चिकित्सा, टेक्नोलॉजी और रिसर्च के नाम पर खुली लूट हो रही है। सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर हो गई है। अस्पतालों का बाजारीकरण हो गया है। सभी बड़े अस्पताल व्यापारियों के हैं। उनमें डॉक्टर नौकर की भांति काम करते हैं। ऐसे में सरकार यदि आयुष को बढ़ावा और अपडेट करती है तो सभी को लाभ होगा। कोरोना कार्यकाल में सभी ने महसूस किया कि कि आयुष में शक्ति है और एलोपैथी की सीमाओं का पता चल गया। अभी तक तो यही था कि एंटीबॉडी से इलाज हो जाता है। आज पता चल गया है कि एलोपैथ के पास कुछ नहीं हैं। इनकी सीमा, रिसर्च की भी असलियत सामने आ गई।
दो तरह की बीमारियां होती है। गैर-संक्रमणीय बीमारी (एनसीडी) और संक्रामक रोग है। जो बीमारी इंफेक्शन से होती है, उन्हें तो एलोपैथी में एंटीबॉडी दे देते हैं। लेकिन बल्ड प्रेशर, मधुमेह, गर्दन का दर्द, गैस आदि से होने वाली बीमारियों का इनके पास कोई इलाज ही नहीं है। जबकि आयुर्वेद में इन सभी बीमारियों का पूरी तरह से निवारण है।
प्रो सुनील जोशी ने दावा किया कि दैनिक दिनचर्या से होनी वाली बीमारियों का इलाज एलोपैथ में है ही नहीं। मरीज से कह देते हैं कि आजीवन दवा चलेंगी। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की जीवन भर दवा खिलाते रहते हैं, लेकिन यदि आयुर्वेद की जीवन शैली को अपनाते है तो बीमारियां समूल नष्ट हो जाती है।
यदि हम अपने को विश्व गुरू बनने के लिए अग्रसर है तो यह आयुर्वेद और योग से ही सक्षम है। निश्चित रूप से सभी मर्ज का इलाज करने में सक्षम है। यह एक बड़ा अवसर प्रकृति और सरकार की ओर से मिला है। आयुष की ताकत का पता चला। कोरोना से मृत्यु दर भारत देश में सबसे कम है। 135 करोड़ की जनसंख्या के इलाज के लिए संसाधन बहुत कम है। सरकार ने समय पर लॉकडाउन किया उससे कोरोना फैलने से रुका। अमेरिका, इटली में ज्यादा मृत्यु दर रही।
भारत देश की प्रकृति, लोगों की जीवन शैली व रहन सहन से बड़ा लाभ मिला है। आयुष मंत्रालय ने जो कदम उठाए, उससे बड़ा लाभ मिला है। हयुमैनिटी अच्छी होती है तो हम स्वस्थ रहेंगे। आयुर्वेद से असली और एलोपैथ वालों ने नकली शारीरिक क्षमता का दावा किया।
आयुर्वेद से नैचुरल शारीरिक क्षमता बढ़ती है। दोनों ही एलोपैथी में इतना ही अंतर है, जिनता की देशी घी और डालडा में अंतर है। ये बहुत ही अच्छा अवसर है कि आयुर्वेद की परिकल्पना को साबित कर सकेंगे।



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