नवीन चौहान
नमामि गंगे योजना के तहत भले ही हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिए हो, लेकिन गंगा जल प्रदूषित होने से नहीं रुक रहा है। हरिद्वार में गंगा के जख्म दिखाई दे रहे हैं। अब जब पूरी तरह से हरिद्वार में गंगा बंदी है तो भी कनखल से निकल रही छोटी गंगनहर में पानी बह रहा है। ऐसे में स्वच्छ गंगा के दावों पर समाजसेवी सवाल उठा रहे हैं।
गंगा के बंद होने के बाद जख्म दिखाई दे रहे हैं। कनखल से निकल रही छोटी गंगा में नालों का प्रदूषित पानी डल रहा है। यह छोटी गंगा कनखल हो गुजरते हुए आगे गंगा में मिल जाती है। शहर के समाजसेवी और आमजन गंगा की स्वच्छता पर सवाल उठा रहे है। कनखल के समाजसेवी जेपी सिंह ने गंगा में डल रहे नाले और प्रदूषित पानी बहने पर चिंता जताते हुए सवाल उठाए हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि गंगा कैसे स्वच्छ होगी। जबकि सन 1989 से गंगा की स्वच्छता के लिए अनेकों योजनाएं बनी। अब सन 2015 भाजपा की केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना का नाम देकर करीब 25 हजार करोड़ रुपये गंगा की स्वच्छता पर खर्च कर दिए हैं। लेकिन आज भी गंगा पूरी तरह से स्वच्छ नहीं हो सकी है। सवाल उठता है कि अभी कितने हजारों करोड़ रुपये खर्च होंगे जब गंगा का पानी स्वच्छ और निर्मल बहेगा।