नवीन चौहान
चौकिए मत, ऐसा अधिकांश लोग कहते हुए मिल रहे हैं। क्योंकि जो मरीज हार्ट, कैंसर, किडनी या अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित है और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव बता दी जाती है। मृतक के परिजनों की चिंता इस बात को लेकर हो जाती है, जब क्षेत्र में कोरोना का मामला ही नहीं तो फिर उनके परिजन को कैसे कोरोना हो गया। परिजन की मृत्यु के बाद जब अन्य लोगों की जांच होती है तो उनमें किसी भी कोरोना नहीं मिलता। उत्तराखंड प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक हजार पार हो गई, जबकि 62 हजार कोरोना के मरीजों के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि इनमें से 57 हजार मरीज स्वस्थ होकर अपनी बेहतर दिनचर्या व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान देकर लोगों की बात को हवा दे दी है कि अस्पतालों के डॉक्टर मरने वाले को कोरोना से मरने की बात रुपये ज्यादा लेने के लिए बता रहे है।
कोरोना से मरने वाले का परिजन नहीं करते अंतिम संस्कार
सबसे बड़ी बात तो यह है कि कोरोना से मरने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार परिजन नहीं करते। यहां तक वे मृतक का अंतिम बार चेहरा तक नहीं देख पाते। दूर से ही पॉलिथिन में लिपटे शव को राते बिलखते हुए देखते रहते है। श्मशान घाट पर भी यही दृश्य रहता हैं। मृतक के परिजन दूर खड़े होकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया देखते रहते हैं।