DAV देहरादून के स्टूडेंटस् प्रधानमंत्री की बातें सुनकर हुए अभिभूत




नवीन चौहान.
कड़ी प्रतिस्पर्धा, परिवार की उम्मीदें और अच्छे ग्रेड्स लाने के दबाव के तनाव को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने परीक्षा पे चर्चा के 7वें संस्करण में आज छात्रों का मनोबल बढ़ाया। इस कार्यक्रम के सीधे प्रसारण को डीएवी पब्लिक स्कूल, डिफेन्स कॉलोनी, देहरादून के छात्रों ने उत्सुकता से देखा और सुना। लगभग 1300 छात्रों ने डीएवी पब्लिक स्कूल देहरादून में इस ज्ञानवर्धक सत्र को देखा।

“भ्रम, चाहे वह किसी भी रूप में हो, बुरा है। अनिर्णय तो और भी बुरा है!” पीएम मोदी जी ने छात्रों को भ्रम और अनिर्णय से दूरी बनाए रखने की भी सलाह दी, जो उद्देश्य की स्पष्टता में बाधा डालते हैं। प्रधानमंत्री जी ने माता-पिता, साथियों और स्वयं-प्रेरित तनाव से विद्यार्थियों के मन में उत्पन्न होने वाले तनाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों को खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए और परीक्षा हॉल में किसी और की चिंता नहीं करनी चाहिए। स्कूल की प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया जी ने छात्र—छात्राओं से कहा कि वह बोर्ड परीक्षा के दौरान पीएम मोदी जी की बातों को जरूर आत्मसार करें।

अपनी व्यापक और बेहद प्रेरणादायक बातचीत में पीएम ने बच्चों के माता-पिता, शिक्षकों और अभिभावकों को एक सलाह भी दी और उन्हें बताया कि कैसे छात्रों की चुनौतियों को माता-पिता के साथ-साथ शिक्षकों द्वारा भी सामूहिक रूप से संबोधित किया जाना चाहिए, जबकि छात्रों और शिक्षकों के बीच संबंध मजबूत होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि छात्रों और अभिभावकों को एक-दूसरे के बीच विश्वास बनाना होगा और सभी शिक्षकों को सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। शिक्षकों को कक्षा में उनके कौशल की सराहना करनी चाहिए।

पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या से परे उनके बीच संबंध होना चाहिए जो छात्रों का भविष्य उज्जवल करेगा। यह जरूरी है कि जब हम अमृत काल के माध्यम से यात्रा करते हुए भारत को विकसित भारत में परिवर्तन के लिए तैयार करते हैं, तो युवा छात्र जो अंततः इस परिवर्तन के चालक और लाभार्थी होंगे, उन्हें मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए जो देश का मार्गदर्शन कर सकें। उसके बाद से भविष्य में और भी आगे।

पीएम मोदी जी ने आज युवा छात्रों के साथ जो विचार साझा किए, वे वयस्कों पर भी समान रूप से लागू होते हैं – उन्होंने एक पोषणकारी वातावरण, टीम वर्क, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और सौहार्द की बात की, जो आने वाले वर्षों में एक बेहतर पीढ़ी को आकार देगा।

स्कूल की प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया जी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को परीक्षा के दौरान आने वाले तनाव से उबरने में मदद करने के लिए हर साल परीक्षा पे चर्चा आयोजित करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की।

उन्होंने छात्रों से प्रधान मंत्री द्वारा प्रदान की गई अंतर्दृष्टि पर ध्यान केंद्रित करने और आगामी बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उन्हें लागू करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के ये मूल मंत्र निश्चित ही छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे। इस सत्र से सभी को बहुत कुछ सीखने को मिला।

आज के सत्र की सबसे महत्वपूर्ण बातें:
1) यदि लाखों चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं
2) कोई भी प्रौद्योगिकी से भाग नहीं सकता है, लेकिन इसका विवेकपूर्ण उपयोग अवश्य सुनिश्चित कर सकता है।
3) माता-पिता को अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ नहीं बनाना चाहिए।
4) आपके आसपास कौन क्या कर रहा है, इस पर ध्यान देना बंद करें। अपना ध्यान अपने ऊपर रखें! आप क्या हैं, आप क्या करते हैं, आप क्या अभ्यास करते हैं, यही आपका भविष्य तय करेगा।”
5) यदि जीवन में चुनौतियाँ न हों तो जीवन प्रेरणाहीन और निराशाजनक हो जाता है। प्रतिस्पर्धा और चुनौतियाँ जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री जी ने शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी और कहा कि यह मानसिक कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए छात्रों को जब भी संभव हो प्राकृतिक धूप जैसे अच्छी रोशनी वाले क्षेत्रों में अध्ययन करना चाहिए। एक बार फिर उन्होंने घरों में गैजेट मुक्त क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया ताकि बच्चे अपने मन की बात मातापिता से कर सकें और माता-पिता अपने बच्चों के साथ बातचीत कर सकें।



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