IAS SAURABH GAHARWAR आईएएस सौरभ गहरवार के इस्तीफे से जुड़ी सबसे बड़ी खबर, जानिए पूरा सच





नवीन चौहान
उत्तराखंड कैडर के आईएएस सौरभ गहरवार की पहचान एक ईमानदार और कर्मठ अफसर के तौर पर की जाती है। वह अपनी पूरी एनर्जी जनहित के कार्यो में लगाते है। आईएएस बनने की पूरी काबलियत को चरितार्थ कर रहे है। यूं तो वह मीडिया से दूरी बनाकर रखते है और कैमरों से बचने का प्रयास करते है। लेकिन इस बार मीडिया ने एकाएक ने उनका नाम सुर्खियों में लाया है। मीडिया में चर्चाओं में आने की वजह उनका कोई सकारात्मक काम नही अपितु आईएएस के पद से इस्तीफा देना बताया जा रहा है। जबकि यह खबर पूरी तरह से भ्रामक और निराधार है। रूद्रप्रयाग डीएम के पद पर स्थानांतरण होने के बाद वह अपने सामान की पैकिंग करने में जुटे हुए थे। जिस कारण आईएएस सौरभ गहरवार अपना फोन तक नही उठा पाए। मीडिया का फोन नही उठा तो खबर उनके इस्तीफे के रूप में पेश की गई। डीएम रूद्रप्रयाग भेजे जाने से सौरभ गहरवार की नाराजगी और इस्तीफा देने की खबर सोशल मीडिया में तैरने लगी। हालांकि सौरभ गहरवार ने इस्तीफे की बात का पूरी तरह से खंडन किया है। उन्होंने कहा कि वह 4 जुलाई को जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग का पदभार ग्रहण करेंगे।
विदित हो कि डॉ सौरभ गहरवार 2016 बैच के आईएएस है।उनका नाम एक जुझारू अफसरों की लिस्ट में शामिल है। वह जनसेवा को ही अपना ध्येय समझते है। आईएएस बनने से पूर्व रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर चिकित्सक के रूप में कार्यरत रहे है। अपने चिकित्सीय ज्ञान का उपयोग जिलाधिकारी बनने के बाद भी सरकारी अस्पतालों में कर रहे है। यही कारण है कि प्रत्येक रविवार को सरकारी चिकित्सालय में जाकर मरीजों के अल्टासाउंड तक करते है। वही हरिद्वार मुख्य विकास अधिकारी के पद पर कार्य रहने के दौरान उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में भी महती भूमिका अदा की।


सके अलावा अक्तूबर 2018 में गंगोलीहाट तहसील में बतौर संयुक्त मजिस्ट्रेट उनकी तैनाती हुई थी। यहां भी डॉ.गहरवार ने प्रशासनिक कार्यों के साथ ही गंगोलीहाट क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दशक से बंद पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन का संचालन कर क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं और अन्य बीमारों के अल्ट्रासाउंड किए। उनके इसी प्रयास से महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए करीब एक सौ किमी दूर जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ नहीं जाना पड़ा।
टिहरी जिलाधिकारी के पद पर रहने के दौरान भी डॉ सौरभ गहरवार अपने सकारात्मक कार्यो के लिए जनता के बीच लो​कप्रिय बने रहे। जनता की सेवा में सदैव तत्पर रहना, ईमानदारी और पारदर्शिता से कार्यो को उन्होंने प्राथमिकता दी।
ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि ईमानदार अफसरों को मलाईदार जनपदों में जाने की कोई चाहत नही होती। मीडिया से दूरी बनाकर रखने वाले अफसरों अपनी पोस्टिंग को लेकर कोई पसंद ना पसंद पर ज्यादा ध्यान नही रखते। ईमानदार अफसर सिर्फ काम के लिए जाने जाते है। तो ऐसे में रूद्रप्रयाग भेजने पर उनकी नाराजगी का तो कोई सवाल ही नही उठता।
हां अगर ईमानदार अफसर के आत्मसम्मान पर सवालिया निशान लगे तो वह कोई भी कदम उठाने से पीछे नही रहते। फिलहाल सौरभ गहरवार के इस्तीफे की खबर महज एक खुरापाती दिमाग की उपज ही कहा जायेगा।



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