गढ़वाल आयुक्त की जांच में हल्का बल प्रयोग उचित तो पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार क्यों!




नवीन चौहान.
गांधी पार्क में 8 फरवरी की रात बेरोजगार संघ के सदस्यों पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में है। धरने को हटाने के लिए पुलिस ने जिस तरह से बल प्रयोग किया उसकी विपक्ष ही नहीं आम जनता भी निंदा कर रही है। शासन ने इस मामले की जांच करायी जिसमें जांच अधिकारी गढ़वाल आयुक्त ने अपनी जांच आख्या में पुलिस प्रशासन द्वारा प्रदर्शन के दौश्रान किये गए हल्के बल प्रयोग को कानून एंव शांति व्यवस्था बनाने के लिए उचित ठहराया गया।
शासन की एक बड़ी अधिकारी ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर कहा है कि मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा भी दिनांक 9 फरवरी की घटना के संबंध में योजित रिट पिटी0 संख्या 14/2023 दिनांक 17.2.2023 में यह तल्ख टिप्पणी की गयी है कि हिंसा फैलाने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध उचित एवं कठोर कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित किया जाये।
इस अधिकारी ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि प्रशनगत प्रकरण की पुन: विस्तृत जांच किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से कराये जाने का निर्णय लिया गया है, तथा गढ़वाल आयुक्त की जांच आख्या को दृष्टिगत रखते हुए प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले एसएसआई, चौकी प्रभारी, निरीक्षक एलआईयू को किसी दूसरे स्थान पर तबादला करने की कार्रवाही की जाए।
यहां सवाल यही उठ रहा है कि यदि गढ़वाल आयुक्त की जांच में हल्का बल प्रयोग कानून व्यवस्था के लिए ठीक था तो फिर पुलिस कर्मियों को किस आधार पर दोषी मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई किये जाने की बात कही गई है।
इस पूरे प्रकरण में उस अधिकारी का नाम कौन छिपा रहा है जिसके इशारे पर धरना खत्म कराने की कार्रवाई की गई। अब जांच अधिकारी क्या उसका नाम सामने लाएंगी।



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