नवीन चौहान, वेतन विसंगति, जोखिम भत्ता और तमाम मांगों को लेकर पुलिस कांस्टेबलों का आक्रोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। मिशन आक्रोष के बाद एक बार फिर नये अंदाज में मिशन महाव्रत के रूप में कांस्टेबलों ने आंदोलन की राह पकड़ ली। पुलिस अफसरों को जब कांस्टेबलों के मिशन महाव्रत की सुगबुगाहट का पता चला तो आनन-फानन मे नोडल अफसर नियुक्त किये गये। कांस्टेबलों को समझा बुझाकर आंदोलन स्थगति करने को राजी किया। तथा पुलिस कांस्टेबलों को भड़काने की अनुशासनहीनता करने वाले दो कांस्टेबलों को सस्पेंड कर दिया गया। फिलहाल पुलिस का आंदोलन स्थगित हो गया है। लेकिन दबी जुबान से पुलिस में आक्रोष बरकरार है।
उत्तराखंड पुलिस के जवान पिछले कुछ सालों से अपनी मांगों को मनवाने के लिये आंदोलन का तरीका अपना रहे है। पूर्व के सालों में मिशन आक्रोष को हवा दी गई। इस आंदोलन को पुलिस अफसरों ने समय रहते ही रोक दिया। मिशन आक्रोश को हवा देने वाले तीन कांस्टेबलों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद एक बार फिर कांस्टेबलों का दर्द मिशन महाव्रत के रूप में बाहर आ गया। उत्तराखंड पुलिस के जवानों ने एक दूसरे से जुड़ने की भावनात्मक अपील की। जब इस बात की सूचना पुलिस अफसरों को लगी तो वह अलर्ट हो गये। एडीजी कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार ने कांस्टेबलों को भड़काने वाले सिपाहियों को समझाने के लिये पुलिस टीम गठित की गई। पुलिस कांस्टेबलों को समझाकर इस तरह के अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी दी गई। जिसके बाद मिशन महाव्रत स्थगित कर दिया गया। उत्तराखंड के एडीजी कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि कांस्टेबलों को गलतफहमी पैदा हो गई थी। जिसको समझा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस बल अनुशासन के लिये जाना जाता है। पुलिस महकमे में अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी। पुलिस के कुछ जवानों ने मिशन महाव्रत करने की तैयारी की थी जो अब समाप्त कर दी गई है। पुलिस के जवानों की जो समस्यायें है वो नियमानुसार हल की जायेगी।
मिशन महाव्रत में कांस्टेबलों की मांग
मिशन महाव्रत में कांस्टेबलों ने वेतन विसंगति को दूर करने, अवकाश के बदले अतिरिक्त भुगतान करने, खूफिया विभाग की तरह ही जोखिम भत्ता देने, अधिक डयूटी के बदल अतिरिक्त भुगतान करने के अलावा कई मांगे रखी है। इस मांगों पर शासन स्तर पर विचार चल रहा है। लेकिन मित्रता सेवा और सुरक्षा का संकल्प करने वाले पुलिस कांस्टेबलों का बार-बार आंदोलन को हवा देना पुलिस महकमे में अनुशासनहीनता को जाहिर कर रहा है।