कुलपति डॉ पीपी ध्यानी की ईमानदारी और निजी कॉलेजों की मनमानी के बीच आठ कॉलेजों की मान्यता पर संकट





नवीन चौहान
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी की ईमानदारी और पारदर्शी कार्यप्रणाली और निजी कॉलेजों की मनमानी का मुकाबला शुरू हो चुका है। निजी कॉलेजों ने विश्वविद्यालय के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए संबद्धता से अधिक छात्रों को विभिन्न कोर्स में प्रवेश दिया। हद तो तब हो गई जब विश्वविद्वालय के कुछ कर्मचारियों से सांठगांठ कर अतिरिक्त प्रवेश पाने वाले छात्रों की परीक्षा तक संपन्न करा दी गई। परीक्षा परिणाम घोषित होने के वक्त कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने इस गोरखधंधे से परदा उठाया। छात्रों का रिजल्ट रोक दिया गया तो निजी कॉलेजों ने सत्ता के गलियारों में दौड़ लगाई। राजनैतिक आंकाओं के चौखट पर पहुंचे और कुलपति पर रिजल्ट घोषित करने का दबाब बनाना शुरू किया। कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने छात्रहितों को देखते हुए एक कमेटी गठित की गई। कार्यपरिषद की बैठक में विश्वविद्यालय के मानकों में बदलाव करते हुए प्रभावित छात्रों का रिजल्ट घोषित करने पर सहमति बनाई गई। लेकिन विश्वविद्यालय के मानकों और नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले निजी कॉलेजों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की योजना बना दी गई। जिसके बाद कभी भी​ निजी कॉलेज छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाने का दुस्साहस नही कर सकेंगे।
कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने उत्तराखंड
के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को ऊंचाईयों पर ले जाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। नकल विहीन परीक्षाओं का सफल आयोजन कराने का कीर्तिमान उनके नाम पर है। विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेजों की मान्यता प्रणाली भी पारदर्शी बनाई गई। निजी कॉलेजों के सिंडिकेट को खत्म करने का प्रयास किया। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों व निजी कॉलेजों संचालकों के बीच की सांठगांठ को खत्म करने के लिए तमाम हठकंडे अपनाए गए। कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने उच्च शिक्षा के उन्नयन की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किए। छात्रों के भविष्य को संवारने और उनके हितों की रक्षा के लिए कई अभिनव प्रयोग किए।
लेकिन श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के अग्रणी बनाने की दिशा में किये जा रहे कुलपति डॉ पीपी ध्यानी के प्रयासों के बीच निजी कॉलेजों की कारगुजारियों के इस प्रकरण ने विश्वविद्यालय के ही कर्मचारियों की पोल खोलकर रख दी है। जगजाहिर हो गया कि विश्वविद्यालय में कार्यरत विभीषण ही संस्था की छवि को धूमिल करने में जुटे है। जिनकी आड़ में तमाम निजी कॉलेज अपनी जेब गरम करने में लगे है।
हालांकि, कुलपति पीपी ध्यानी निजी कॉलेजों के इन मंसूबों को तोड़ने का हरसंभव प्रयास कर रहे है। इसी के चलते कुलपति डॉ पीपी ध्यानी की अध्यक्षता में आयोजित की गई 6वीं कार्य परिषद की आपातकालीन बैठक में निजी कॉलेजों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय किये गए। सीटों से अधिक प्रवेश देने वाले आठ निजी कॉलेजों के खिलाफ कठोर फैसले किए गए।
निजी कॉलेजों की वर्ष 2022—23 की मान्यता समाप्त करने की संस्तुति करते हुए कुलाधिपति को भेजने का निर्णय भी लिया गया।
चार सौ इक्कासी (481) छात्रों को 08 निजी महाविद्यालयों ने स्वीकृत सीटों से अधिक पर विभिन्न विषयों में प्रवेश दिये गये, जो कि सम्बद्धता नियमों के विरूद्ध किया गया अनैतिक कार्य था और सम्बद्धता नियमों का पूर्ण रूप से उल्लंघन था। इस सम्पूर्ण प्रकरण में छात्रों का कोई दोष नही था। अतः व्यापक छात्रहित में कार्य परिषद् ने 481 छात्रों के परीक्षा परिणाम घोषित करने का अनुमोदन किया।
दोषी पाये गये 8 निजी महाविद्यालयों/संस्थानों (चमन लाल महाविद्यालय, लन्ढौरा, हरिद्वार; हरिओम सरस्वति डिग्री कालेज, धनौरी, हरिद्वार; रूबराज इंस्टीट्यूड आफ एडवान्स स्टडीज, हरिद्वार; स्वामी विवेकानन्द कालेज आफ एजूकेशन, रूडकी; एपैक्स इंस्टीट्यूड आफ मैनेजमेंट एण्ड टैक्नोलाजी, रूडकी; भारतीय महाविद्यालय, रूडकी; सेन्ट्रल इंस्टीट्यूड आफ मैनेजमेंट एण्ड टैक्नोलाजी, रूडकी; और, डीडी कालेज, निम्बूवाला, देहरादून) ने सत्र 2019-20 में विभिन्न विषयों में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर प्रवेश किये थे। सम्बद्धता नियमों का उल्लंघन करने पर कार्य परिषद ने कठोर निर्णय लिये और अनुमोदन किया गया। जिन विषयों में सत्र 2019-20 में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटों पर प्रवेश निजी महाविद्यालयों/संस्थानों द्वारा किये गये, उनको सत्र 2021-22 में घटाया जायेगा और अवशेष सीटों पर ही निजी महाविद्यालयों द्वारा छात्र/छात्राओं को प्रवेशित किया जायेगा। जिन विषयों में कुल स्वीकृत सीटों के सापेक्ष ज्यादा सीटों पर प्रवेश हुआ था, उन विषयों की अतिरिक्त सीटों को 2 सत्रों 2021-22 एंव 2022-23 में विभाजित कर छात्र-छात्रों को प्रवेशित किया जायेगा।
निजी महाविद्यालयों/संस्थानों पर प्रति अतिरिक्त सीटों पर छात्र-छात्राओं से लिये गये शुल्क, जिसकी संरचना विश्वविद्यालय से पूर्व में ही स्वीकृत है, का 30 प्रतिशत प्रशमन शुल्क आरोपित किया जाय। इस प्रशमन शुल्क को निजी महाविद्यालयों द्वारा विश्वविद्यालय राजकोष में जमा करना होगा और यह प्रशमन शुल्क निजी महाविद्यालय छात्र छात्राओं से वसूल नही करेंगे। इस आशय का शपथ पत्र महाविद्यालय/संस्थान द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया जायेगा।
दोषी पाये गये 8 निजी महाविद्यालयों/संस्थानों को प्रदत्त सम्बद्धता को सत्र 2022-23 से आंशिक या पूर्ण रूप से समाप्त किये जाने हेतु कुलाधिपति महोदया को कार्य परिषद द्वारा संस्तुति की गयी। कुलाधिपति का जो भी निर्णय हो, वह अन्तिम माना जायेगा।
कुलपति डॉ ध्यानी ने विश्वविद्यालय में कार्यरत अधिकारियों एंव कर्मचारियों आदि, जिन्होंने विश्वविद्यालय के अन्दर और निजी संस्थानों से मिलीभगत कर विश्वविद्यालय में अतिरिक्त सीटों पर परीक्षायें करवायी, पर कठोर कार्यवाही होगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की शैक्षिक परिषद की 9वीं बैठक 05 जून, 2020, जो उनकी अध्यक्षता में आयोजित हुयी थी, में निर्णय लिया गया था कि विश्वविद्यालय द्वारा निजी महाविद्यालयों/संस्थानों में स्वीकृत सीटों से ज्यादा सीटों पर परीक्षायें आयोजित नही की जायेगी। किन्तु इसके बावजूद भी सितम्बर-अक्टूबर 2020 में विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों/कर्मचारियों ने निजी महाविद्यालयों/संस्थानों आदि से, मिली भगत कर परीक्षायें करवा दी, जिससे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुयी है। इस प्रकरण पर विश्वविद्यालय और शासन द्वारा जांच प्रक्रिया गतिमान है। जांच के बाद इन कर्मचारियों व अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जायेगी। उनके द्वारा पूर्व में तत्कालीन कुलसचिव पर कठोर कार्यवाही की गयी थी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में उपकुलसचिव, सहायक परीक्षा नियंत्रक और सहायक कुलसचिव द्वारा, बिना कार्य परिषद की स्वीकृति के, पूर्व में, विश्वविद्यालय से हजारों रूपये परीक्षा पारिश्रमिक के रूप में लिया गया। पिछली कार्यपरिषद् में लिये गये निर्णय के अनुसार अब इन अधिकारियों से भी वसूली की जायेगी।
बैठक में कार्य परिषद के सभी 15 सम्मानित सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें कुलाधिपति नामित सदस्य मा0 न्यायमूर्ति (सेनि) बीएस वर्मा, एयर कामोडोर (सेनि) देवेन्द्र शर्मा, डॉ कौशलेन्द्र सिंह भदौरिया, डॉ गजेन्द्र सिंह, डॉ आरके गुप्ता, प्राचार्य, परिसर गोपश्वर, प्रो संदीप कुमार, प्राचार्य, विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष, प्रो सुषमा गुप्ता, डॉ दीपक भट्ट, भूगर्भ विभाग, डीबीएसपीजी कालेज, देहरादून, प्रो जीके ढींगरा, विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश इत्यादि द्वारा प्रतिभाग किया गया। बैठक का संचालन कार्य परिषद के सचिव प्रो0 एमएस रावत, प्रभारी कुलसचिव ने किया।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *