निजी महाविद्यालयों की कार्यप्रणालियों पर कुलपति सख्त, 290 में से 154 आवेदन हुए स्वीकृत, जांच को बनाई समिति




नवीन चौहान
मान्यता प्रणाली को पूर्ण रूपेण पारदर्शी, जबावदेही और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए कुलपति डा पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने कडी मेहनत के बाद सम्बद्धता हेतु विश्वविद्यालय में वेबपोर्टल बनवाया और शैक्षणिक सत्र 2020-21 हेतु आनलाईन आवेदन, 20 जुलाई, 2020 से 31 अगस्त, 2020 तक, आमंत्रित करवाए। इस आनलाईन प्रक्रिया में विश्वविद्यालय को 290 आवेदन पत्र प्राप्त हुए, जिसमें मात्र 154 प्रस्ताव ही प्रथमदृष्टिया अर्ह पाये गए और अन्य निरस्त कर दिए गए। अब इन अर्ह पाये गए प्रस्तावों की विश्वविद्यालय गहनतापूर्वक जांच पड़ताल कर रहा है, और, सम्बद्धता हेतु निरीक्षण मण्डलों का नियमानुसार गठन कर रहा है। निरीक्षण मण्डल में कुलपति द्वारा बेदाग छवि वाले अनुभवी विशेषज्ञों को शामिल किया जा रहा है। निरीक्षण मण्डल से कतिपय निजी महाविद्यालय संतुष्ट नहीं दिखाई दे रहे हैं, और वे बिना विशेषज्ञ के लिखित मनाही के, विशेषज्ञों को बदलवाने का कुप्रयास कर रहे हैं। वे विश्वविद्यालय मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं और अपना अमूल्य समय बर्बाद कर रहे हैं। बताते चले कि वर्तमान में श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में गढ़वाल जनपदों के 54 राजकीय और 114 निजी महाविद्यालय सम्बद्धता प्राप्त हैं।
कुलपति डा ध्यानी ने ऐसे कालेंजों को चेताया कि निरीक्षण मण्डल के पैनल से जो विशेषज्ञ रखे गये हैं बिना उनकी लिखित मनाही के उनकों बदला नहीं जाएगा और विश्वविद्यालय के चक्कर न लगाये और अपना और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के कार्याें में विघ्न पैदा न करें।
कुलपति ने यह भी अवगत कराया कि कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुये उन्होने निजी महाविद्यालयों के हित में निरीक्षण मण्डलों में उत्तराखण्ड के ही विषय विशेषज्ञों को महत्त्वता दी है लेकिन सामान्य स्थिति होने पर, पूरे देश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को ही निरीक्षण मण्डलों में शामिल किया जाएगा। महाविद्यालय को उन्ही से निरीक्षण नियमानुसार करना होगा।

कुलपति डा पीताम्बर प्रसाद ध्यानी

वर्तमान में विश्वविद्यालय से 33 बीएड कालेज सम्बद्ध हैं। कुलपति डा ध्यानी के संज्ञान में ऐसे ही प्रकरण बीएड कालेजों से भी आ रहे हैं। कतिपय निजी बीएड संस्थान बिना विशेषज्ञ से असहमति पत्र लिये हुये प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिये विश्वविद्यालय द्वारा नामित विशेषज्ञों को बदलवाने का कुप्रयास कर रहे हैं। कुलपति ने उन्हे भी सख्त चेतावनी दी है कि अब किसी भी हालत में पुरानी प्रचलित प्रक्रिया नही चलेगी। बिना विशेषज्ञों से लिखित असहमति पत्र के, उनके स्थान पर अन्य विशेषज्ञा नामित नहीं होंगे। कुलपति ने साफ तौर पर सभी को चेताया कि अब निजी महाविद्यालयों द्वारा पूर्व से चल रही प्रक्रियाओं और मनमर्जीयों पर विश्वविद्यालय नहीं चलेगा। निजी महाविद्यालय को राज्य में शैक्षणिक उन्नयन हेतु निर्धारित मानकों पर खरा उतरना होगा और राज्य में युवाओं की आकांक्षाओ के अनुरूप संसाधन जूटाने होंगे और उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल बनाना होगा ताकि राज्यहित में उनका चीरस्थाई योगदान बना रहे।



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