नवीन चौहान.
भावना पांडे के बसपा छोड़ देने के बाद हरिद्वार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। भावना पांडे ने अचानक बसपा क्यों छोड़ी वो भी तब जब हाल ही में उन्होंने बसपा ज्वाइन की थी और प्रार्टी ने अपना टिकट दिया था। बदले घटनाक्रम में कई तरह की चर्चाएं राजनीति के गलियारे में हो रही हैं।
बताया जा रहा है बसपा संगठन ने यूपी की मीरापुर विधानसभा से पूर्व विधायक रहे मौलाना जमील अहमद को अपना प्रत्याशी चुना है, मंगलवार को इसकी विधिवत घोषणा कर दी जाएगी। लेकिन यहां सवाल ये उठ रहा है जब भावना पांडे को प्रत्याशी बनाया गया था तो अचानक यह बदलाव क्यों। भावना पांडे कह रही हैं कि बसपा संगठन कमजोर हैं, कोई भी प्रत्याशी के साथ चुनाव प्रचार के लिए आगे नहीं आ रहा था। जबकि बसपा कार्यकर्ता कह रहे हैं भावना पांडे कमजोर प्रत्याशी थी। वह भाजपा को थोड़ा बहुत नुकसान तो पहुंचाती लेकिन जीतने की स्थिति में नहीं थी।
राजनीति के विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि बसपा हरिद्वार सीट पर मबजूत स्थिति में तभी रह सकती है जब उसका प्रत्याशी मुस्लिम हो। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। कांग्रेस ने इस सीट से विरेंद्र रावत को खड़ा किया है वह राजनीति में नया चेहरा है। हरिद्वार के मुस्लिम कांग्रेस प्रत्याशी को कितना समर्थन करेंगे यह अभी कहा नहीं जा सकता। इसीलिए बसपा ने इस सीट पर मुस्लिम चेहरा उतारने की योजना बनायी है।
वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि भावना पांडे के चुनाव मैदान से बाहर आने और भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए चुनाव प्रचार करने से भाजपा को लाभ मिलेगा। मुस्लिम वोट अब कांग्रेस और बसपा में बंट जाएगा जबकि सपा से अभी कोई प्रत्याशी नहीं है। यदि सपा भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारती है तो फिर मुस्लिम वोट तीन जगह बंट जाएंगी।