नवीन चौहान
उत्तराखंड की बहादुर बेटियों की तमाम शौर्य गाथाएं भारत के इतिहास में दर्ज है। रणक्षेत्र का मैदान हो या खेल का मैदान हो या फिर गृहयुद्ध में देश को संकट से उबारने का अवसर हो। उत्तराखंड की बेटियों ने हमेशा अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है। लेकिन कोरोना संक्रमण के इस कठिन वक्त में उत्तराखंड की बेटियां अन्नदाता बनकर सामने आई है। खेत खलियानों में गेंहू काटकर भारत में अन्न की पूर्ति करने में जुटी है। उत्तराखंड की इन बेटियों को नमन है।
विश्व में इन दिनों कोरोना का संकट गहराया हुआ है। जिसका प्रभाव भारत पर भी पड़ा है। भारत में कोरोना वायरस दूसरी स्टेज में होकर गुजर रहा है। पूरे देश में लॉक डाउन है। देश के सभी नागरिक घरों में रहने को विवश है। लेकिन अन्न की पूर्ति करने के लिए किसानों को लॉक डाउन में राहत दी गई है। फिलहाल गेंहू की तैयार फसल खेतों में लह रहा रही है। इन गेंहू को काटने के लिए मजदूरों का अभाव है। दूसरे राज्यों के मजदूर अपने घरों को जा चुके है। ऐसे में खेतों से गेंहू काटने का कार्य महिलाओं ने संभाल लिया है। किसान परिवार में तमाम महिलाएं हाथों में दराती लिए गेंहू काटने में जुट चुकी है। फिलहाल ये तमाम महिलाएं अन्नदाता बनकर भारत में रोटी के संकट को दूर करने का प्रयास कर रही है।
अन्न देवता की हो रही पूजा
कोरोना संक्रमण काल में जनता को अन्न का अहसास हो गया है। आज पूरा देश किसानों को नमन कर रहा है। सभी का जीवन सब्जी, रोटी पर निर्भर होकर रह गया है। आपदा की इस घड़ी में मनुष्य की दिनचर्या में घर के लिए खाने का जरूरी सामान लेना ही प्रमुख कार्य है। सभी नागरिक घरों में है और अन्न देवता की पूजा कर रहे है।
भोग विलासिता को भूल गए
कोरोना के संक्रमण काल के दौर में लोग रेस्टोरेंट के लजीज पकवान और तमाम विलासिता को भूल चुके है। प्रकृति के अनुरूप एक मानव जीवन का निर्वहन कर रहे है। सादा जीवन उच्च विचार की बातें कर रहे है। आखिरकार कोरोना के खौफ ने मनुष्य को उनके वास्तविक जीवन से परिचय कराया है।