हरिद्वार में कूड़े के ढेरों से उठ रही बदबू, नेताओं ने शुरू की राजनीति, समाधान कुछ नहीं, पढ़े




जोगेंद्र मावी
हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाने वाली कंपनी की हड़ताल को पांच दिन हो गए हैं। शहर में घर-घर से कूड़ा उठाने की प्रक्रिया बंद होने से घरों के साथ मैदानों में कूड़े के ढेर लगने शुरू हो गए। बदबू से लोग परेशान होने लगे हैं, लेकिन इस बदबू पर हरिद्वार के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने राजनीति शुरू कर दी है। एक दूसरे पर छींटाकसी करने का काम कर रहे हैं, लेकिन शहर को कूड़ा मुक्त करने के लिए समाधान निकालने के लिए कोई चर्चा तक नहीं है। नगर निगम के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि कूड़ा वे अपने संसाधनों से उठवा रहे हैं। लेकिन असलियत धरातल पर साफ तौर पर दिख रही है। कूड़ा उठाने वाले 350 से अधिक कर्मचारी हड़ताल टूटने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि नगर निगम की ओर से भुगतान न किए जाने से उनकी कई महीने की तनख्वाह रूकी हुई है। उनके घरों में भूखे रहने के हालात हो गए हैं।
हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाने वाली कंपनी केआरएल ने 7 दिसंबर-2020 से हड़ताल की हुई है। केआरएल से जुड़े 350 से अधिक कर्मचारी घर पर खाली बैठे है। अब नगर निगम केआरएल की शर्तों को मानने को तैयार नहीं है और न ही कंपनी झुकने को तैयार है। इससे हरिद्वार शहर में कूड़ा न उठने से अव्यवस्था होने लगी है। नगर निगम के अधिकारी कूड़ा उठवाने का दावा कर रहे हैं। सड़कों के किनारे व कुछ सार्वजनिक स्थानों के कूड़ा उठाने का काम किया जा रहा हैं, लेकिन लोगों के घरों के साथ गलियों में ढेर लगने लगे हैं। लोग अपने घरों से कूड़े को नालियों में डालने को मजबूर है।
केआरएल कंपनी का तर्क
केआरएल के डिप्टी डायरेक्टर अजय सिंह का कहना है कि नगर निगम से केआरएल कंपनी का अनुबंध सन 2012 में हुआ था। उस समय न्यूनतम मजदूरी 2400 रूपये थी। यह 2013 में मजदूरी 5400 रूपये हो गई। अब सन 2019 में बढ़कर 8300 रूपये हो गई। दूसरे, डीजल का भाव उस समय 40 रूपये लीटर का भाव था जो कि बढ़कर 72 रूपये हो गया है। कूड़ा उठाने के बदले में शुल्क करीब 275 रूपये प्रतिटन तय हुआ था, जोकि अब 361 रूपये प्रतिटन हो गया है। लेकिन देहरादून में कूड़ा उठा रही कंपनी को प्रतिटन के बदले में करीब 2205 रूपये शुल्क दिया जा रहा है। अब हरिद्वार नगर निगम का क्षेत्र बढ़कर दोगुना हो गया हैं, इससे तेल और मजदूरों की संख्या भी बढ़ गई है।
इतना हो रहा नुकसान
2012 के नियम से मजदूरी बढ़ने से कंपनी को प्रति महीने करीब 20 लाख रूपये का और डीजल में 3.25 लाख रूपये महीने का अतिरिक्त भार बढ़ गया है। अन्य चार्ज जोड़कर कंपनी को प्रति महीने 25 लाख से अधिक का नुकसान हो रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह नगर निगम से जो केआरएल कंपनी के अनुबंध हुए थे, उन्हें नगर निगम ने कभी पूरा नहीं किया। सराय के प्लाॅट को चलाने के लिए तय हुई धनराशि को नहीं दिया गया। जबकि केआरएल ने जैसे तैसे कर प्लांट को चलाया, लेकिन उस पर सवाल उठाने का काम किया जाता रहा।
केआरएल की हड़ताल के बाद शहर में राजनीति शुरू
केआरएल की हड़ताल के बाद से हरिद्वार में भाजपा और कांग्रेस नेताओं की राजनीति जारी है। कांग्रेस नेता शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को घेर रहे हैं तो भाजपा के नेता कांग्रेस की मेयर को घेरने का काम कर रहे है। मेयर अनीता शर्मा स्वयं नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर शहर में कूड़ा उठाने की व्यवस्था की मांग कर चुकी हैं। तो

भाजपा पार्षद दल के नेता सुनील कुमार गुड्डू

भाजपा पार्षद दल के नेता सुनील कुमार गुड्डू का कहना है कांग्रेसी मेयर व उनके पति तथा कुछ कांग्रेसियों की मिलीभगत से केआरएल सफाई व्यवस्था के नाम पर धर्नोपार्जन का माध्यम बन गयी थी। नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि पिछले दो वर्षों से इस तथाकथित फर्जी कम्पनी को मेयर पति व उनके कांग्रेसी सहयोगियों द्वारा चलाया जा रहा है। निगम प्रति माह लगभग 30 से 35 लाख का भुगतान इस कम्पनी को करता है तथा कम्पनी यूजर चार्जेज के रूप में 15 लाख लगभग बाजार से एकत्र करते हैं और गाड़ी-घोड़े आदि संसाधन सब निगम के इस्तेमाल करते हैं।

युवा पार्षद अनुज सिंह

युवा पार्षद अनुज सिंह का कहना है कि सन 2012 में भाजपा के बोर्ड ने नगर निगम में केआरएल की व्यवस्था की थी। यदि वे अब दो साल से कांग्रेस पार्टी की मेयर पर पर आरोप लगा रहे हैं तो वह बताए कि दो साल से पहले किसने कमीशन खोरी की। रही बात केआरएल कंपनी की व्यवस्था समाप्त करने की तो प्रदेश में राज्य सरकार भाजपा की है और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी उनके ही हैं, ऐसे में भाजपा के नेता बयानों से दूर रहकर शहर से कूड़ा उठवाने की प्रक्रिया में सहयोग करें।



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