शिक्षा मंत्री के साथ रहकर भी नहीं बदली कार्यशैली, गैर हाजिर कुलसचिव को भेजा नोटिस




गगन नामदेव
उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के साथ कार्य करने के बाद भी कुलसचिव ने अपनी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं किया। कुलसचिव अपनी मनमर्जी से गैर हाजिर हुए तो कुलपति डाॅ पीपी ध्यानी ने इसे घोर लापरवाही मानते हुए कड़ा संज्ञान लिया है। कुलपति ने कुलसचिव को नोटिस जारी करते हुए दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने के आदेश जारी कर दिया है। इसके अलावा सरकारी वाहन का उपयोग सरकारी कार्य में ही करने के निर्देश दिए गए है। प्रकरण श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का है।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ पीपी ध्यानी ने विश्वविद्यालय में पारदर्शिता, शुचिता और कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करने की शैली को अपनाते हुए स्पष्ट आदेश जारी किए थे कि प्रशासनिक अधिकारियों को मुख्यालय में बैठना होगा। लेकिन कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी ने कुलपति के आदेशों को दरकिनार कर देहरादून के शिविर कार्यालय में बैठना शुरू कर दिया। विश्वविद्यालय को ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए अथक प्रयास कर रहे कुलपति डाॅ ध्यानी ने छात्रों के देहरादून जाने की समस्या को दूर करते हुए ऋषिकेश कैंपस शुरू कर दिया। कुलसचिव ने ऋषिकेश में अपना डेरा जमा लिया। कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी के ऋषिकेश कैंपस में बैठने को लेकर शासन ने संज्ञान लिया और 3 जून 2020 को बादशाहीथौल मुख्यालय में बैठकर कार्य करने के आदेश दिए गए। लेकिन कुलसचिव पर इन आदेश का कोई प्रभाव नही हुआ। कुलपति के तमाम आदेशों की धज्जियां उड़ती रही। जिसके बाद कुसचिव छुटटी पर चले गए। इसी दौरान उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अपने निजी स्टाॅफ के तौर पर संबद्ध कर लिया। पांच महीने 13 दिनों बाद शासन ने एक बार फिर कुलसचिव को उनके मूल कार्यालय बादशाहीथौल के लिए रिलीव कर दिया। कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी ने कुलपति डाॅ पीपी ध्यानी की गैर मौजूदगी में 2 दिसंबर 2020 को कार्यभार ग्रहण करने मुख्यालय पहुंच गए। इस दौरान कुलपति डाॅ ध्यानी को कोई सूचना तक नहीं दी गई। जिसके बाद अगले की दिन विभागीय वाहन लेकर ऋषिकेश कैंपस कार्यालय पहुंच गए। विश्वविद्यालय प्रांगण में कुलसचिव की धींगामुश्ती का कुलपति डाॅ ध्यानी ने कड़ा संज्ञान लेते हुए दो दिनों के भीतर विश्वविद्यालय के मुख्यालय में स्थायी रूप से उपस्थित होने के आदेश जारी कर दिए। इसके अलावा पूरे प्रकरण को शासन के संज्ञान में भेज दिया गया है। बताते चले के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत खुद बेहद की कर्मठशील है। उनके निर्देशन में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य हो रहे है। ऐसे में उनके कार्यालय से संबद्ध रहने के अनुभव पाने के बाद भी कुलसचिव की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया। यह बात गले नही उतर रही है। आखिरकार एक कर्तव्यनिष्ठ कुलपति डाॅ पीपी ध्यानी के तमाम आदेशों के बाद कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी के कार्य करने का तरीका विश्वविद्यालय के लिए ठीक नहीं है।



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