नवीन चौहान
अपना राजनैतिक भविष्य संवारने के लिए विपक्षी दल के तमाम नेता भाजपा की गोद में बैठ रहे है। भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नही है। महंगाई और बेरोजगार के मुददों को उठाने की वजाय अपने राजनैतिक कैरियर की चिंता है। मंत्रियों की गाड़ी के आगे पीछे घूमना है। मंत्रियों के साथ फोटो कराकर अधिकारियों पर अपना रसूक स्थापित करना ही है। अगर सचमुच में इन नेताओं का जनाधार होता तो महंगाई और बेरोजगारी के मुददों को प्रमुखता से उठाते। ऐसा करने से उनका लोकप्रियता मिलती और राजनीति में मुकाम हासिल करने में भी कामयाब हो पाते।
वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई है। महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश में बेरोजगारी की स्थिति यह है कि युवा अपने माता—पिता की आजीविका पर निर्भर हो गए है। सरकारी नौकरी के दरवाजे बंद है। प्राइवेट सेक्टर में नौकरी खत्म हो रही है। कोरोना संक्रमण काल के बाद के हालात बद से बदत्तर हो गए है। प्राइवेट सेक्टर में छंटनी का दौर चल रहा है। फैक्ट्रियों में कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। नौकरी खो जाने के खौफ से कर्मचारियों को शोषण मंजूर है। बीटेक— एमबीए कर चुके युवक निजी कंपनियों में सात से आठ हजार की नौकरी कर रहे है। जबकि इनसे ज्यादा तो सब्जी की रेहड़ी लगाने वाले की कमाई है।
वही दूसरी ओर स्टार्टअप के जरिए कारोबार खड़ा करने वाले युवाओं की हालत उनसे भी खराब हो रही है। बैंक लोन चुकाने की स्थिति में नही है। कारोबार स्थापित नही हो पा रहे। दुकानों से सामान खरीदने के स्थान पर लोग आन लाइन शॉपिंग कर रहे है।
महंगाई की हालात पर नजर डाले तो आम आदमी की पहुंच से सब्जियां तक दूर हो रही है। सब्जी से टमाटर गायब हो रहे है। आम आदमी को पसंद की सब्जी खरीदना मुश्किल ही नही नामुमकिन हो रहा है।
वही दूसरी ओर से केंद्र और राज्य सरकारों की बात करें विकास गाथा सुना है। प्रधानमंत्री मोदी अपने मन की बात सुनाकर जनता का दिल बहला रहे है। जनता की आंखों से आंसू बहे जा रहे लेकिन उनकी आवाज सरकार के कानों तक पहुंचाने वाला विपक्ष भाजपा की गोद में जाने को आतुर है।
जी हां यह वही विपक्ष है, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की कमियों को गिनाना है। जनता के मुददों को उठाना है। युवाओं का प्रतिनिधित्व करके उनके लिए रोजगार दिलाने की व्यवस्था कराना है। सरकार के भ्रष्टाचार पर मुंह खोलना है।
लेकिन विपक्षी नेताओं की बात करें तो उनको खुद अपना भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। विपक्षी नेता भाजपा में अपना भविष्य सुरक्षित देख रहे है। इसी के चलते वह अपने दलों को छोड़कर भाजपा की गोद में बैठना मंजूर कर रहे है।