काजल राजपूत की रिपोर्ट.
उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चार धाम अर्थात, यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। हरिद्वार से आस्थावान श्रद्धालुओं का पहला जत्था तीर्थ यात्रा के रवाना हो चुका है। लेकिन आप सभी तीर्थ यात्रियों से हाथ जोड़कर अपील है कि देवभूमि की मर्यादा का ध्यान रखना और पहाड़ों पर गंदगी में मत फैलाना। पहाड़ों की वादियों में घूमने के दौरान अपने वाहन की खिड़की से हाथ बाहर निकालकर चिप्स के रैपर मत फेंकना। खुले में मल मूत्र का त्याग मत करना। इसी के साथ हो सके तो मांस और मदिरा का सेवन भी मत करना।
उत्तराखंड के यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में प्रतिवर्ष करोड़ों आस्थावान श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के लिए आते है। भगवान के दर्शनों के उपरांत उत्तराखंड के कई रमणीक पर्यटक स्थलों की भी सैर करते है। तीर्थ यात्रियों के आने से उत्तराखंड के पर्यटन कारोबार में इजाफा होता है। उत्तराखंड के वाहनों, होटल और रेस्टोरेंट संचालकों की आजीविका में वृद्धि होती है। छह माह तक चलने वाली चार धाम की यात्रा से उत्तराखंड की अर्थ व्यवस्था में भी खासी बढोत्तरी होती है।
लेकिन इन सबके बीच सबसे अहम बात यह है कि तीर्थ यात्रियों की लापरवाही से प्रतिवर्ष करोड़ों टन कूड़ा भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी सहित तमाम नदियों में बहकर गंगा में समाहित हो जाता है। जिससे गंगा प्रदूषित हो जाती है। गंगा की सफाई के लिए केंद्र व राज्य सरकार को करोड़ों रूपया लगाना पड़ता है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से गंगा को प्रदूषित नही करने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है। साइन बोर्ड लगाए जाते है। इस सबके बाबजूद समस्या जस की तस बनी रहती है।
ऐसे में अब चूंकि चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है। तो हमारी तीर्थ नगरी की मर्यादा को सुरक्षित बचाए रखने की जिम्मेदारी भी हमारे आस्थावान श्रद्धालुओं की है। अगर आप वास्तव में सच्चे मन से चार धाम यात्रा में भगवान के दर्शनों के लिए आए है तो भगवान के स्थान को गंदगी से बचाने में अपना योगदान दें। पॉलीथीन का उपयोग क़ूड़े को एकत्रित करने में करें। जिस स्थान पर डस्टबीन हो, वहां पर उसमें फेंक दे। इससे तीर्थ नगरी की मर्यादा भी सुरक्षित रहेगी और गंगा को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा।